संभल की जामा मस्जिद सर्वे मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, जो इस मामले को लेकर आगे की कानूनी प्रक्रिया के लिए मील का पत्थर माना जा रहा है।
मामले की प्रमुख बातें:
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मस्जिद कमेटी की सिविल रिवीजन याचिका खारिज कर दी गई है।
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फैसला सुनाया है – जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने।
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हाईकोर्ट ने कहा कि मुकदमे की पोषणीयता (maintainability) पर मस्जिद पक्ष की आपत्ति तर्कसंगत नहीं है।
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अब मामला संभल की जिला अदालत में सर्वे की प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ेगा।
Allahabad High Court upholds survey order of Shahi Jama Masjid in Sambhal issued by trial court. The Muslim side's petition was rejected. The court found no issues with the Trial Court order. pic.twitter.com/OzVTSfHpoC
— ANI (@ANI) May 19, 2025
पृष्ठभूमि क्या है?
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संभल जिले में स्थित जामा मस्जिद और पास के हरिहर मंदिर को लेकर विवाद चल रहा है।
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हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद की ज़मीन पर पहले हिंदू धार्मिक स्थल था।
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इसी को लेकर सर्वे की मांग की गई थी।
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19 नवंबर 2024 को संभल सिविल कोर्ट ने सर्वे की अनुमति दे दी थी, जिसे मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।
मस्जिद कमेटी की आपत्तियां क्या थीं?
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उन्होंने कहा कि यह मामला पूजा स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम 1991 के तहत प्रतिबंधित है।
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यह भी तर्क दिया गया कि मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि कोई ठोस आधार नहीं है जिससे यह निष्कर्ष निकाला जाए कि वहां पहले कोई मंदिर था।
#WATCH | Allahabad High Court upholds survey order of Shahi Jama Masjid in Sambhal issued by trial court. The Muslim side's petition was rejected
In Delhi, Senior advocate Vishnu Shankar Jain says, "This is a very important decision of the Allahabad High Court and all those who… pic.twitter.com/SSLnyELmMX
— ANI (@ANI) May 19, 2025
हाईकोर्ट का निर्णय क्यों महत्वपूर्ण है?
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यह फैसला उन तमाम मामलों पर प्रभाव डाल सकता है जो धार्मिक स्थलों के इतिहास को लेकर उठाए जा रहे हैं – जैसे ज्ञानवापी, मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि, कुतुब मीनार विवाद आदि।
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हाईकोर्ट ने माना कि यदि पक्षकारों के दावों की पुष्टि के लिए सर्वे आवश्यक है, तो निचली अदालत को यह अधिकार है कि वह प्राथमिक स्तर पर तथ्यों की जांच कर सके।
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यह आदेश विवाद के तथ्यों की जांच और ऐतिहासिक साक्ष्यों को देखने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
अगले चरण में क्या होगा?
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अब संभल की जिला अदालत में एएसआई या अन्य उपयुक्त एजेंसी से सर्वे करवाने की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
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यदि सर्वे होता है और उसमें ऐसे तथ्य सामने आते हैं जो हिंदू पक्ष के दावे को बल देते हैं, तो मामला और अधिक संवेदनशील हो सकता है।
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मस्जिद पक्ष के पास सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर करने का विकल्प अब भी खुला है।