उत्तर प्रदेश पुलिस आरक्षी भर्ती परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने और परीक्षा रद्द करने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को उप्र पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड की अध्यक्ष रेणुका मिश्रा को हटा दिया, एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. सरकार ने 1990 बैच की भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की अधिकारी रेणुका मिश्रा को 14 जून 2023 को महानिदेशक व अध्यक्ष उप्र पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड की जिम्मेदारी सौंपी थी. उन्होंने बताया कि 1991 बैच के आईपीएस अधिकारी सतर्कता निदेशक राजीव कृष्ण को बोर्ड की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है.
फरवरी में हुई थी पुलिस भर्ती परीक्षा
प्रश्नपत्र लीक होने के आरोपों के बाद राज्य सरकार ने 24 फरवरी को उत्तर प्रदेश पुलिस आरक्षी भर्ती परीक्षा रद्द कर दी थी और छह महीने के भीतर दोबारा परीक्षा कराने का आदेश दिया था. राज्य सरकार ने आरोपों की जांच उप्र पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) से कराने की भी घोषणा की थी.
6 महीने में दोबारा होगी यूपी कॉन्स्टेबल की परीक्षा
17 और 18 फरवरी 2024 को प्रदेश भर में हुई उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती की लिखित परीक्षा का पेपर लीक हुआ था, जिसके बाद देशभर में स्टूडेंट्स जमकर हंगामा किया और फिर योगी सरकार द्वारा परीक्षा कैंसिल कर 6 महीने में दोबारा परीक्षा करने के आदेश दिए गए. पेपर लीक की इस घटना पर एसटीएफ अभी भी जांच कर रही है. ऑफलाइन हुई इस परीक्षा में 2 दिन में 48 लाख से अधिक नौजवानों ने परीक्षा दी थी.
कुछ ऐसा ही हाल उत्तर प्रदेश के 56 जिलों में बीते 11 फरवरी को हुई RO-ARO यानी समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी की परीक्षा को लेकर हुआ था. पेपर लीक के आरोप के साथ उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के प्रयागराज स्थित दफ्तर अभ्यर्थियों ने घेर लिया था. 29 फरवरी को आगरा में इंटरमीडिएट में जीव विज्ञान और गणित का पेपर लीक होने का भी मामला सामने आया था. जिसको लेकर उत्तर प्रदेश बोर्ड ने जांच कमेटी गठित की है. इससे पहले यूपी एसटीएफ की टीम ने पुलिस भर्ती परीक्षा लीक करने वाले गिरोह के दो आरोपियों को धर दबोचा था. गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों की पहचान प्रयागराज के रहने वाले अजय सिंह चौहान और सोनू सिंह यादव के रूप में की गई थी.
CM योगी ने दिया था परीक्षा रद्द करने का आदेश
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 11 फरवरी 2024 को आयोजित समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (प्रारम्भिक) परीक्षा, 2023 की समीक्षा की गई थी. इस परीक्षा में कथित रूप से प्रश्न पत्र के कतिपय प्रश्नों के सोशल मीडिया पर वायरल होने के शिकायतें प्राप्त हुई थीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समीक्षा के बाद परीक्षा को रद्द करने का आदेश दिया था.