मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज महाकुंभ 2025 के दौरान एफएम चैनल कुम्भवाणी का शुभारंभ किया, जो इस भव्य आयोजन को दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंचाने का एक प्रमुख माध्यम बनेगा। इस पहल का उद्देश्य महाकुंभ के महत्व, आयोजन, और गतिविधियों की जानकारी देश-विदेश के कोने-कोने में पहुंचाना है।
कुम्भवाणी चैनल की विशेषताएं:
- फ्रीक्वेंसी और प्रसारण समय:
कुम्भवाणी चैनल 103.5 मेगाहर्ट्ज पर उपलब्ध रहेगा। यह 10 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक प्रतिदिन प्रातः 5:55 बजे से रात 10:05 बजे तक प्रसारित होगा। - कार्यक्रमों का स्वरूप:
- महाकुंभ के विभिन्न कार्यक्रमों का आंखों देखा हाल।
- धार्मिक उद्धरण और महाकुंभ से जुड़ी आध्यात्मिक जानकारी।
- आयोजन से जुड़ी सुविधाएं और अपडेट।
- तकनीकी पहल:
यह ओटीटी बेस्ड एफएम चैनल न केवल स्थानीय बल्कि उन क्षेत्रों में भी उपलब्ध होगा, जहां कनेक्टिविटी की समस्याएं हैं।
मुख्यमंत्री के विचार:
- सनातन धर्म का गौरव:
योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ को केवल एक आयोजन न मानते हुए इसे सनातन धर्म के गौरव और आध्यात्मिक संदेश का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ जाति, धर्म, पंथ और लिंग भेदभाव से परे एकजुटता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है। - सजीव प्रसारण का महत्व:
मुख्यमंत्री ने इसे दूर-दराज के लोगों तक महाकुंभ का अनुभव पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम बताया, जिससे वे आयोजन से जुड़ सकें और इसकी महिमा को समझ सकें। - एफएम चैनल का प्रभाव:
उन्होंने इसे युवाओं और ग्रामीण समुदाय के बीच लोकप्रिय होने की संभावना व्यक्त की।
प्रधानमंत्री और सूचना प्रसारण मंत्रालय का योगदान:
मुख्यमंत्री ने एफएम चैनल कुम्भवाणी शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का धन्यवाद दिया।
महाकुंभ 2025 की प्रमुख जानकारियां:
- शाही स्नान:
- 14 जनवरी: मकर संक्रांति
- 29 जनवरी: मौनी अमावस्या
- 3 फरवरी: बसंत पंचमी
- संगम में स्नान का विशेष महत्व, जिससे पापों से मुक्ति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति:
शुभारंभ के अवसर पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री डॉ. एल. मुरुगन, उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, जल शक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी, और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
कुम्भवाणी एफएम चैनल महाकुंभ की आध्यात्मिकता और सनातन संस्कृति को विश्वभर में प्रसारित करने का एक सशक्त माध्यम बनेगा। यह पहल न केवल आयोजकों की दूरदर्शिता को दर्शाती है, बल्कि तकनीकी और सांस्कृतिक समावेश का भी प्रतीक है।