उत्तर प्रदेश स्थित मोहनलालगंज से समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी द्वारा सेंगोल हटाने की चिट्ठी लिखने का मामला गरमाता जा रहा है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में समाजवादी पार्टी और इंडिया अलायंस को घेरा है.
सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट में सीएम योगी ने लिखा- समाजवादी पार्टी को भारतीय इतिहास या संस्कृति का कोई सम्मान नहीं है. सेंगोल पर उनके शीर्ष नेताओं की टिप्पणी निंदनीय है और उनकी अज्ञानता को दर्शाती है. यह टिप्पणी तमिल संस्कृति के प्रति इंडिया अलायंस के नफरत को भी दर्शाती है.
Samajwadi Party has no respect for Indian history or culture. The remarks of their top leaders on the Sengol are condemnable and indicate their ignorance. It also shows INDI Alliance's hatred to Tamil culture in particular.
The Sengol is India's pride and it is a matter of…
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) June 27, 2024
सपा सांसद ने क्या लिखा था?
सपा सांसद ने पत्र में लिखा, ”मैं सदन की कुर्सी की दाईं ओर सेंगोल को देखकर हैरान रह गया. महोदय, हमारा संविधान भारत के लोकतंत्र का एक पवित्र दस्तावेज है, जबकि सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है. हमारी संसद लोकतंत्र का मंदिर है, किसी राजा या राजघराने का महल नहीं है. मैं आग्रह करना चाहूंगा कि संसद भवन में सेंगोल हटाकर उसकी जगह भारतीय संविधान की विशालकाय प्रति स्थापित की जाए.”
अखिलेश यादव ने क्या कहा?
वहीं इस मामले पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि हमारे सांसद आर.के. चौधरी ने ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब शपथ लेने गए थे तो प्रणाम नहीं किया था. इसलिए चौधरी को यह भावना आई कि सेंगोल को संसद से हटाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को संसद में भारतीय संविधान की विशालकाय प्रति लगाने में क्या दिक्कत है.
गौरतलब है कि नई संसद भवन के उद्घाटन के समय सेंगोल को स्थापित किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे तमिलनाडु मठ से स्वीकार कर लोकसभा स्पीकर के आसन के पास स्थापित किया था. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सेंगोल को अंग्रेजों से भारत को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर स्वीकार किया था.