यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत पहुंचे. जहां योगी का ‘बाल’ प्रेम देखने को मिला. बागपत पहुंचे मुख्यमंत्री श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ किया. इस दौरान योगी आदित्यनाथ बच्चों को खिलाते हुए और उनसे दुलार करते नजर आए. इसके बाद जिले के जाट कॉलेज पहुंचे मुख्यमंत्री योगी ने अपने संबोधन में सूबे की विकास यात्रा और अपने विजन के बारे में बताया. आपको बताते चलें कि मुख्यमंत्री योगी इससे पहले 10 सितंबर 2022 को बागपत आए थे. तब उन्होंने बागपत सीएचसी का निरीक्षण करने के साथ मवीकलां में खिलाड़ियों को सम्मानित किया और विकास कार्यों की समीक्षा की थी.
भागवत कथा के मंच पर पहुंचे योगी
सीएम योगी बागपत के नांगल भगवानपुर गांव में पहुंचे. सीएम यहां श्रीमद्भागवत कथा में शामिल हुए. इसके बाद उन्होंने मंदिर में 6.16 लाख की लागत से बने भवन का लोकार्पण किया. इस कथा स्थल पर कई परिवारों की माएं अपने बच्चों के संस्कार कराने पहुंची थी. जहां पर छोटे-छोटे नन्हे-मुन्हों को देखकर एक योगी के मन में ऐसा बाल प्रेम उमड़ा और वो बच्चों को अपनी गोद में लेकर दुलराने लगे. उन्होंने बच्चों का नाम पूछा. नाम से बुलाया. चम्मच से दूध पिलाया और सिर पर हाथ फेरकर आशीर्वाद दिया. योगी के इसी बाल प्रेम की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहा है.
श्री शिव गोरखनाथ मंदिर में पूजा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भगवानपुर नांगल गांव में श्री शिव गोरखनाथ मंदिर में पहुंचे और घंटा बजाकर लोकार्पण किया. उसके बाद बाबा लच्छीनाथ और बाबा छोटेनाथ की समाधि पर पुष्प अर्पित किए. यहां से मुख्यमंत्री मंदिर परिसर में नव दुर्गा मंदिर में परिक्रमा कर पूजा अर्चना की.
जनसभा का संबोधन
योगी करीब एक घंटे तक मंदिर में पूजा पाठ करने के बाद बागपत के बड़ौत कस्बे पहुंचे और जनता वैदिक कॉलेज के ग्राउंड से जनसभा संबोधित की. इस दौरान उन्होंने जिले को बड़ी सौगात देते हुए 351 करोड़ की 311 परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया.
बागपत का बताया इतिहास
सीएम योगी ने कहा, ‘बागपत की धरती महाभारत कालीन कही जाती है. ऐसा माना जाता है पांडवो को जो 5 गांव जमीन मांगी थी, उसमें से एक बागपत भी था. ये पवित्र भूमि है. भारत मे पर्व और त्योहार हर्ष और उल्लास के होते हैं. इसमे दुख और शोक की कोई जगह नही है. अच्छा सोचने अच्छा करने से परिणाम अच्छा ही होता है. इस धरती का सौभाग्य है जिसने भारत के इतिहास को बनते हुए देखा. ये वही धरती है जहां महाभारत हुआ था. उस महायुद्ध के बाद मानवता लहूलुहान हो चुकी थी, तब भगवान वेदव्यास ने महाभारत रूपी महाकाव्य की रचना की थी.