महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को शुद्ध वायु और वातावरण मिले इसके लिए योगी सरकार ने प्रयागराज में कई स्थानों पर घने जंगल विकसित किए हैं. प्रयागराज नगर निगम ने 2 साल में जापानी तकनीक मियावाकी से कई ऑक्सीजन बैंक डेवलप किए हैं, जो अब घने वन का रूप ले चुके हैं, जिससे पर्यावरण संरक्षण में काफी मदद मिल रही है. इन पौधों से हरियाली फैलने के साथ ही एयर क्वालिटी में भी सुधार हुआ है.
मियावाकी तकनीक का प्रयागराज में उपयोग न केवल पर्यावरण संरक्षण का बेहतरीन उदाहरण है, बल्कि यह शहरी क्षेत्रों में हरित स्थानों को बढ़ावा देने का प्रभावी समाधान भी है। यहाँ इस प्रोजेक्ट के मुख्य पहलुओं को समझाया गया है:
मियावाकी तकनीक और इसके फायदे
- घने जंगल: इस तकनीक से घने जंगल विकसित होते हैं, जिससे तापमान में 4-7 डिग्री की कमी आ सकती है।
- कम जगह में हरियाली: प्रति वर्ग मीटर 3-4 पौधे लगाए जाते हैं, जिससे कम जगह में भी हरियाली संभव है।
- तेजी से वृद्धि: पौधे 10 गुना तेजी से बढ़ते हैं और जल्द ही जंगल का रूप ले लेते हैं।
- जैव विविधता: देशी प्रजातियों के पौधों का उपयोग कर जैव विविधता को प्रोत्साहित किया जाता है।
प्रयागराज में मियावाकी प्रोजेक्ट
- नैनी औद्योगिक क्षेत्र:
- 1.2 लाख पौधे लगाए गए, जो अब 10-12 फीट तक बढ़ चुके हैं।
- औद्योगिक कचरे को हटाकर बंजर भूमि को हरित क्षेत्र में बदला गया।
- बसवार डंपिंग यार्ड:
- 9,000 वर्ग मीटर में 27 प्रजातियों के 27,000 पौधे लगाए गए।
- कचरे और बदबू से निजात मिलने के साथ ही पर्यावरण में सुधार हुआ।
- नेवादा सामोगर क्षेत्र:
- 63 प्रजातियों के 1,19,700 पौधे लगाए गए।
- औद्योगिक कचरे से पटी जमीन को जैविक खाद और बुरादे से अनुकूल बनाया गया।
- अन्य स्थान:
- शहर के 13 स्थानों पर मियावाकी तकनीक से जंगल बनाए गए।
प्रयुक्त पौधों की प्रजातियाँ
- फलदार पेड़: आम, महुआ, आंवला, अमरूद।
- औषधीय पौधे: तुलसी, सहजन, ब्रह्मी।
- देशी पेड़: नीम, पीपल, अर्जुन, शीशम।
- सजावटी पौधे: गोल्ड मोहर, कचनार, वोगनवेलिया।
मियावाकी प्रोजेक्ट के लाभ
- पर्यावरण संरक्षण:
- वायु और जल प्रदूषण में कमी।
- मिट्टी के क्षरण को रोकने में मदद।
- शुद्ध वायु:
- वायु गुणवत्ता में सुधार और ऑक्सीजन बैंक के रूप में उपयोगी।
- जैव विविधता:
- पक्षियों, जानवरों, और कीटों की संख्या में वृद्धि।
- शहरी तापमान में कमी:
- गर्मियों के तापमान में अंतर को कम करने में सहायक।
आगे का दृष्टिकोण
प्रयागराज नगर निगम की यह पहल महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों के लिए शुद्ध और हरित वातावरण सुनिश्चित करने के साथ ही अन्य शहरी क्षेत्रों के लिए एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत करती है। इस तकनीक को और अधिक स्थानों पर लागू कर पर्यावरण और जैव विविधता को संरक्षित किया जा सकता है।
मियावाकी फॉरेस्ट के फायदे
- इस परियोजना से जहां औद्योगिक कचरे का निस्तारण हुआ है, वहीं धूल, गंदगी और बदबू से भी निजात मिली है.
- इसके अलावा, यह परियोजना शहर के वायु प्रदूषण को कम करने में भी मदद कर रही है.
- वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं.
- जल प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं.
- मिट्टी का क्षरण रोकने में मदद करते हैं.
- जैव विविधता को बढ़ावा देने में मदद करते हैं.
वर्जन
प्रयागराज नगर निगम के आयुक्त चंद्र मोहन गर्ग ने बताया कि शहर में कई स्थानों पर मियावाकी तकनीक से सघन वन विकसित किए जा रहे हैं. हमने बसवार में कचरा हटाकर वहां भी इस तकनीक से 27 हजार पौधे लगाए हैं. सबसे ज्यादा नैनी औद्योगिक क्षेत्र में 1.2 लाख पौधे गए हैं. यह परियोजना न केवल औद्योगिक कचरे के निस्तारण में मदद कर रही है, बल्कि धूल, गंदगी और बदबू से भी निजात दिला रही है.