कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के महाकुंभ और गंगा स्नान पर दिए बयान को लेकर राजनीतिक विवाद गर्मा गया है। उनके बयान के जवाब में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सरमा ने इसे सनातन धर्म और इसकी सांस्कृतिक परंपराओं पर हमला करार देते हुए कांग्रेस पार्टी की मंशा पर सवाल उठाए।
हिमंत बिस्वा सरमा का पलटवार:
- सनातन धर्म पर सवाल का आरोप:
- हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट करते हुए कहा कि खरगे का बयान कांग्रेस पार्टी की सनातन धर्म के प्रति नकारात्मक मानसिकता को दर्शाता है।
- उन्होंने इसे राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी का आधिकारिक रुख बताया।
- सोनिया गांधी का उदाहरण:
- सरमा ने 2001 में सोनिया गांधी के महाकुंभ के दौरान गंगा स्नान का जिक्र करते हुए पूछा कि क्या वह भी इसे निरर्थक मानेंगी?
- उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस अध्यक्ष हज यात्रा को लेकर ऐसी ही टिप्पणी करने की हिम्मत करेंगे।
- कांग्रेस से जुड़े हिंदू नेताओं को संदेश:
- सरमा ने कहा कि यह समय है जब कांग्रेस से जुड़े हिंदू नेता इस पर विचार करें और अपना रुख स्पष्ट करें।
- उन्होंने आग्रह किया कि सत्ता और पद के लिए अपने धर्म और सांस्कृतिक विरासत से समझौता न करें।
- सनातन धर्म का समर्थन:
- सरमा ने लिखा कि सनातन धर्म सदियों से समय की कसौटी पर खरा उतरा है और इसे राजनीतिक स्वार्थ के लिए कमतर आंकना उचित नहीं है।
- उन्होंने सभी नेताओं से आह्वान किया कि वे अपने विवेक को मार्गदर्शक बनाएं और धर्म तथा विश्वासों के प्रति निष्ठा रखें।
The statement by Congress President Mallikarjun Kharge on the Mahakumbh is unprecedented and reflects a deeply troubling mindset against Sanatan Dharma. I believe this is the official stance of the Congress party led by Rahul Gandhi. But let me ask him: back in 2001, Sonia Gandhi… pic.twitter.com/asqd3KDjf0
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) January 28, 2025
मल्लिकार्जुन खरगे का बयान और माफी:
मल्लिकार्जुन खरगे ने एक जनसभा में गंगा स्नान को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा:
“गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी दूर होती है क्या, आपके पेट को क्या इससे खाना मिलता है।”
उन्होंने कहा कि वह किसी की आस्था पर सवाल नहीं उठा रहे, लेकिन सवाल किया कि जब बच्चे भूखे हैं, मजदूरों को मजदूरी नहीं मिल रही, तब हजारों रुपये खर्च कर डुबकी लगाने का क्या औचित्य है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी को उनके बयान से दुख हुआ है, तो वह माफी मांगने के लिए तैयार हैं।
राजनीतिक विश्लेषण:
- धर्म और राजनीति का मुद्दा:
- इस पूरे विवाद ने एक बार फिर धर्म और राजनीति के घालमेल को उजागर किया है।
- भारतीय राजनीति में आस्था और धार्मिक परंपराएं अक्सर संवेदनशील मुद्दे बन जाते हैं, जिनका राजनीतिक दल अपने-अपने हिसाब से इस्तेमाल करते हैं।
- कांग्रेस और भाजपा का रुख:
- भाजपा ने इसे सनातन धर्म पर हमला बताते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा है।
- कांग्रेस, दूसरी ओर, इसे गरीबी और सामाजिक समस्याओं की ओर ध्यान खींचने की कोशिश बता रही है।
- भविष्य की राजनीतिक रणनीति:
- इस बयान का असर महाकुंभ 2025 और उससे जुड़े धार्मिक भावनाओं पर पड़ सकता है।
- भाजपा इस मुद्दे को कांग्रेस के खिलाफ हिंदू आस्थाओं के अपमान के रूप में भुनाने की कोशिश कर सकती है।
यह विवाद केवल गंगा स्नान पर टिप्पणी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय राजनीति में धर्म और आस्था के महत्व को उजागर करता है। हिमंत बिस्वा सरमा ने इसे भाजपा की विचारधारा के अनुरूप कांग्रेस पर हमला करने के अवसर के रूप में देखा। वहीं, खरगे का बयान गरीबी और सामाजिक समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास था, लेकिन इससे धार्मिक भावनाएं आहत हुईं। आने वाले समय में इस मुद्दे का प्रभाव चुनावी राजनीति और सार्वजनिक विमर्श पर पड़ना तय है।