महाकुंभ 2025 की तैयारी संगम नगरी प्रयागराज में जोरों पर है। यह विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और धार्मिक आयोजन 13 जनवरी 2025 से शुरू होने वाला है। इस मेले को दिव्य और भव्य बनाने के लिए युद्धस्तर पर तैयारियां की जा रही हैं। साथ ही, 13 प्रमुख अखाड़ों के साधु-संत मेला क्षेत्र में अपनी छावनी में प्रवेश कर रहे हैं।
शंभु पंच अग्नि अखाड़े का छावनी प्रवेश:
- शंभु पंच अग्नि अखाड़े का छावनी प्रवेश आज भव्य शोभायात्रा के साथ हुआ।
- यह यात्रा अनंत माधव मंदिर (चौफटका) से शुरू होकर पुराने शहर के विभिन्न क्षेत्रों से गुजरते हुए मेला क्षेत्र में समाप्त हुई।
- शोभायात्रा में शामिल साधु-संत घोड़े, पालकी, रथ, बग्गी और चांदी के सिंहासनों पर सवार थे।
- 10 किलोमीटर लंबी शोभायात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु और साधु-संत मौजूद रहे।
अखाड़ों की भूमिका:
- 13 प्रमुख अखाड़े कुंभ मेले का मुख्य आकर्षण होते हैं।
- शैव अखाड़े: शिवभक्त; कुल 7 अखाड़े।
- वैष्णव अखाड़े (बैरागी): विष्णु भक्त; कुल 3 अखाड़े।
- उदासीन अखाड़े: गुरु नानक और खालसा परंपरा से प्रेरित; कुल 3 अखाड़े।
- शंभु पंच अग्नि अखाड़ा शैव संप्रदाय का हिस्सा है, जिसमें केवल ब्रह्मचारी ब्राह्मण ही दीक्षा ले सकते हैं।
- इससे पहले जुना अखाड़ा और आवाहन अखाड़ा मेला क्षेत्र में अपनी छावनी बना चुके हैं।
- अन्य 10 अखाड़े आने वाले दिनों में मेला क्षेत्र में प्रवेश करेंगे।
सुरक्षा और व्यवस्थाएं:
- पेशवाई (छावनी प्रवेश) के दौरान सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए।
- यात्रा मार्ग पर घुड़सवार पुलिस और भारी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात रहे।
- मेला क्षेत्र में शिविरों का निर्माण तेजी से हो रहा है, जिसमें अखाड़ों और श्रद्धालुओं के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं दी जा रही हैं।
कुंभ मेले का महत्व:
- महाकुंभ हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है।
- 13 अखाड़े कुंभ मेले की परंपरा और आयोजन का केंद्र हैं, जो अपनी विशिष्ट परंपराओं और मान्यताओं के साथ इस आयोजन को भव्यता प्रदान करते हैं।
प्रयागराज की धरती पर यह आयोजन न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा, और भक्ति के एकता सूत्र को दर्शाता है। महाकुंभ 2025 को दिव्य और भव्य बनाने के लिए प्रशासन और श्रद्धालु पूरी तरह तैयार हैं।
पेशवाई और नगर प्रवेश क्या होते हैं?
इन दोनों का सीधा संबंध यूं तो साधु संन्यासियों के कुंभ में आने से हैं. नगर प्रवेश छोटा जश्न होता है. जब देशभर से साधु संत कुंभ नगरी में आते हैं, तो शहर के बाबरी हिस्से में इकट्ठे होकर जुलूस की शक्ल में धूम धाम से अपने आश्रम (स्थाई आश्रम) तक जाते हैं. पेशवाई वो कार्यक्रम होता है जब कुंभ/महाकुंभ शुरू होने से पहले एक शुभ लग्न देखकर अखाड़े अपने स्थाई आश्रम से कुंभ क्षेत्र में बने अपने शिविर (अस्थाई आश्रम) में जाते हैं. इस दौरान अखाड़े अपने वैभव और शक्ति का प्रदर्शन करते हैं. हाथी, घोड़े, ऊंट, अस्त्र, शस्त्र और साधुओं की संख्या के आठ भव्य जुलूस लेकर अखाड़े के साधु संत कुंभ क्षेत्र में प्रवेश करते हैं.