जौनपुर की मशहूर अटाला मस्जिद को लेकर उठे विवाद ने एक बार फिर मंदिर-मस्जिद के मुद्दे को चर्चा में ला दिया है। इस मामले में स्वराज वाहिनी एसोसिएशन और संतोष कुमार मिश्रा द्वारा दावा किया गया है कि अटाला मस्जिद पहले ‘अटाला देवी मंदिर’ थी और वहां पर सनातन धर्म के अनुयायियों को पूजा करने का अधिकार दिया जाना चाहिए।
याचिका का विवरण:
- दावा: याचिकाकर्ताओं ने मस्जिद की जगह को ‘अटाला देवी मंदिर’ बताते हुए उस पर पूजा का अधिकार मांगा है।
- अन्य मांगें:
- संपत्ति पर कब्जा देने की प्रार्थना।
- गैर-हिंदुओं को संपत्ति में प्रवेश से रोकने का आदेश।
कोर्ट की प्रक्रिया:
- जौनपुर कोर्ट:
- अगस्त 2024 में जौनपुर की अदालत ने इस मुकदमे को सुनवाई के योग्य मानते हुए इसकी पोषणीयता को स्वीकार किया था।
- 29 मई को इस मामले को रजिस्टर्ड किया गया और सुनवाई शुरू करने का आदेश दिया गया था।
- इलाहाबाद हाई कोर्ट:
- अटाला मस्जिद प्रशासन ने जौनपुर कोर्ट के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
- हाई कोर्ट अब यह तय करेगा कि जौनपुर कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हो सकती है या नहीं।
- इस याचिका पर सुनवाई सोमवार, 9 दिसंबर 2024 को निर्धारित है।
अटाला मस्जिद का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य:
- अटाला मस्जिद, जौनपुर के शर्की वंश के दौरान 15वीं सदी में बनाई गई एक प्रसिद्ध संरचना है। इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है।
- मंदिर से मस्जिद में परिवर्तन का दावा भारतीय पुरातत्व और इतिहास के विवादित मुद्दों में से एक है, जिनका हल अदालतों और साक्ष्यों के आधार पर होता है।
वक्फ अटाला मस्जिद ने हाई कोर्ट में कही हैं ये बातें
वक्फ अटाला मस्जिद जौनपुर की तरफ से हाई कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में कहा गया है याचिकाकर्ता स्वराज वाहिनी एसोसिएशन की याचिका में दोष है। क्योंकि वादी सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत एक सोसायटी, एक न्यायिक व्यक्ति नहीं है। इसमें आगे कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट को इन आधारों पर शिकायत खारिज कर देनी चाहिए थी। लोकल कोर्ट ने मुकदमे के पंजीकरण का निर्देश देने में गलती की।
वक्फ अटाला मस्जिद का यह भी तर्क है कि विचाराधीन संपत्ति को एक मस्जिद के रूप में पंजीकृत किया गया है और 1398 में इसके निर्माण के बाद से इसका लगातार उपयोग किया जा रहा है और मुस्लिम समुदाय जुमा की नमाज सहित नियमित प्रार्थना करता है। इसके अलावा, यह तर्क दिया गया है कि यहां तक कि वक्फ बोर्ड को भी वाद में एक पक्ष नहीं बनाया गया।
भड़के असदुद्दीन ओवैसी
इस मामले पर असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि भारत के लोगों को इतिहास के उन झगड़ों में धकेला जा रहा है जहां उनका कोई अस्तित्व ही नहीं था। कोई भी देश महाशक्ति नहीं बन सकता अगर उसकी 14% आबादी लगातार ऐसे दबावों का सामना करती रहे। प्रत्येक “वाहिनी” “परिषद” “सेना” आदि के पीछे सत्ताधारी दल का अदृश्य हाथ होता है।
The people of India are being pushed into fights over history where none existed. No nation can become a superpower if 14% of its population faces such constant pressures.
Behind every “Vahini” “Parishad” “Sena” etc, there is the invisible hand of the ruling party. They have a… https://t.co/KOR2XG4MjA
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 7, 2024