मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में निराश्रित गोवंश संरक्षण केंद्रों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बहुआयामी रणनीति प्रस्तुत की है, जो केवल गोसेवा तक सीमित नहीं बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था, महिला सशक्तिकरण, पोषण सुरक्षा और रोजगार को भी केंद्र में रखती है। उनकी समीक्षा बैठक में दिए गए निर्देश निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं में समेटे जा सकते हैं:
उत्तर प्रदेश में गो आश्रय स्थलों की स्थिति (2025)
विवरण | आँकड़ा |
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गो आश्रय स्थलों की संख्या | 7,693 |
संरक्षित गोवंश | 11.49 लाख |
निगरानी व्यवस्था | CCTV व नियमित निरीक्षण |
गोसेवकों की नियुक्ति | 21,884 प्रशिक्षित गोसेवक |
चारागाह भूमि से अतिक्रमण हटाया | 40,968.29 हेक्टेयर |
हरे चारे के लिए समर्पित भूमि | 12,168.78 हेक्टेयर |
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रमुख निर्देश:
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गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण:
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इस पेंट का सरकारी भवनों में उपयोग अनिवार्य किया जाए।
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पेंट संयंत्रों की संख्या बढ़ाई जाए।
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गो आश्रय स्थलों को बेहतर बनाने के लिए:
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कर्मचारियों की तैनाती और समय पर वेतन।
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भूसा बैंक, हरी चारा, पानी, चोकर की पर्याप्त व्यवस्था।
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पशु चिकित्सकों के नियमित दौरे।
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मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना:
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गाय उन गरीब परिवारों को दी जाए जिनके पास पशुधन नहीं है।
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इससे उन्हें पोषण, दूध उत्पादन, और गोसेवा का लाभ मिलेगा।
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गाय प्रतियोगिता और सम्मान योजना:
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मंडल स्तर पर देसी गायों की प्रतियोगिता कराई जाए।
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बेहतरीन गो आश्रय स्थलों को सम्मानित किया जाए।
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गो-आधारित उत्पाद निर्माताओं के बीच प्रतियोगिता कराई जाए।
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ग्रामीण रोजगार और महिला भागीदारी:
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महिला स्वयं सहायता समूहों की सक्रिय भागीदारी।
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बरेली में जैविक खाद और गोमूत्र प्रसंस्करण संयंत्र प्रगति पर।
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दुग्ध समितियों का विस्तार:
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2025-26 में 4,922 नई सहकारी दुग्ध समितियों की स्थापना का लक्ष्य।
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समग्र उद्देश्य:
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गौ संरक्षण को लाभकारी और व्यावसायिक मॉडल में परिवर्तित करना।
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प्राकृतिक संसाधनों (गोबर, गोमूत्र) का उपयोग कर पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ प्राप्त करना।
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गांव-कस्बों के स्तर पर स्थानीय उत्पादन और स्वावलंबन को बढ़ावा देना।