महाकुंभ 2025 का शुभारंभ प्रयागराज में बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक उत्साह के साथ हुआ है। यह आयोजन विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है और हिंदू धर्म के पवित्र तीर्थ स्थलों में गिने जाने वाले संगम पर विशेष महत्व रखता है। यहां कुछ प्रमुख बातें दी गई हैं:
मुख्य आकर्षण:
- पहला अमृत स्नान:
- संन्यासियों द्वारा आज पौष पूर्णिमा के दिन पहला अमृत स्नान किया गया।
- लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना, और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगा रहे हैं।
- स्नान की तारीखें:
- 14 जनवरी (मकर संक्रांति): दूसरा अमृत स्नान।
- 29 जनवरी (मौनी अमावस्या): तीसरा अमृत स्नान।
- अन्य प्रमुख स्नान तिथियां: 3 फरवरी (बसंत पंचमी), 12 फरवरी (माघी पूर्णिमा), और 26 फरवरी (महाशिवरात्रि)।
- श्रद्धालुओं की संख्या:
- आयोजन के दौरान 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
- अकेले मकर संक्रांति के दिन 7 करोड़ लोग स्नान कर सकते हैं।
सुविधाएं और व्यवस्थाएं:
- महाकुंभ क्षेत्र:
- 4000 हेक्टेयर में फैला मेला क्षेत्र।
- इसे राज्य का 76वां जिला घोषित किया गया।
- 25 सेक्टरों में बांटा गया, और 41 घाट बनाए गए (10 पक्के और 31 अस्थायी)।
- रहने और खाने की व्यवस्था:
- 10 लाख श्रद्धालुओं के रुकने के लिए व्यवस्था।
- 100 आश्रयस्थल, 3000 बेड वाले रैन बसेरे।
- 204 गेस्ट हाउस और 90 धर्मशालाएं।
- यातायात प्रबंधन:
- रेलवे ने 3000 विशेष ट्रेनें चलाई हैं।
- प्रमुख स्टेशनों पर भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष इंतजाम।
- अमृत स्नान के दौरान विशेष मार्ग व्यवस्था।
सुरक्षा प्रबंधन:
- सुरक्षा तंत्र:
- 7 स्तरीय सुरक्षा, जिसमें NSG कमांडो और यूपी पुलिस शामिल हैं।
- 15,000 सिविल जवान और स्पॉटर संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं।
- 113 ड्रोन, एंटी-ड्रोन सिस्टम, और AI संचालित कैमरे निगरानी में तैनात।
- मेडिकल सुविधाएं:
- हर सेक्टर में 20-बेड के अस्पताल।
- 300 गोताखोर और वाटर एंबुलेंस।
सांस्कृतिक और आर्थिक प्रभाव:
- कलाग्राम:
- 10 एकड़ में भारतीय कला और संस्कृति का उत्सव।
- बॉलीवुड के दिग्गजों और कलाकारों की प्रस्तुतियां।
- राजस्व:
- यूपी सरकार को 25,000 करोड़ रुपए का राजस्व मिलने की संभावना।
- स्थानीय व्यवसायों और ब्रांडों को लाभ।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की शुभकामनाएं:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ के शुभारंभ पर अपनी शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री ने आयोजन की तैयारियों को सुचारू बनाने के लिए व्यक्तिगत रूप से निगरानी की है।
महाकुंभ 2025 का यह आयोजन न केवल भारत की आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है, बल्कि सांस्कृतिक एकता और आर्थिक विकास का अद्भुत उदाहरण भी है।