महाकुंभ 2025 के दौरान प्रयागराज में आयोजित होने वाली धर्म संसद और उसमें प्रस्तावित सनातन बोर्ड के गठन का मुद्दा सनातन धर्म की संरचना और संरक्षण को लेकर महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इसके मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
1. धर्म संसद का आयोजन:
- तारीख: 27 जनवरी 2025
- उद्देश्य: सनातन धर्म की रक्षा और उसकी संपत्तियों के संरक्षण हेतु विचार-विमर्श।
- प्रतिभागी: चारों पीठों के शंकराचार्य, 13 अखाड़ों के प्रमुख, महामंडलेश्वर और देशभर के प्रमुख साधु-संत।
2. सनातन बोर्ड का गठन:
- प्रस्ताव का पारित होना:
धर्म संसद में सनातन बोर्ड के गठन का प्रस्ताव पारित किया जाएगा और इसे केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। - उद्देश्य:
- सनातन धर्म से संबंधित मंदिरों, मठों और अन्य धार्मिक संस्थानों की संपत्तियों का संरक्षण।
- इन संपत्तियों पर बढ़ते अतिक्रमण और सरकारी हस्तक्षेप को रोकना।
- सनातन धर्म की मान्यताओं और सांस्कृतिक विरासत को सुदृढ़ करना।
- मॉडल:
सनातन बोर्ड का प्रारूप और कार्यप्रणाली धर्म संसद में सभी साधु-संतों की सहमति से तय की जाएगी।
3. वक्फ बोर्ड पर सवाल:
- वक्फ बोर्ड की संपत्तियां:
महंत रविंद्र पुरी ने सवाल उठाया कि वक्फ बोर्ड के पास 9-10 लाख एकड़ भूमि कहां से आई। - मठों और मंदिरों पर अतिक्रमण:
- मंदिरों और मठों की जमीनों पर अतिक्रमण का मुद्दा उठाया गया।
- वक्फ बोर्ड के दावों और कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए गए।
4. धर्म संसद का एजेंडा:
- सभी साधु-संतों और प्रमुख मठाधीशों की सहमति से सनातन बोर्ड का प्रारूप तैयार किया जाएगा।
- चर्चा होगी कि सनातन बोर्ड किस प्रकार वक्फ बोर्ड जैसा प्रभावी और संरचनात्मक ढांचा बना सके।
- प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजकर इसे लागू करवाने का प्रयास किया जाएगा।
5. महत्व:
- सनातन धर्म के संस्थानों को सुरक्षित करने और उनकी संपत्तियों को संरक्षित रखने का यह प्रयास ऐतिहासिक हो सकता है।
- धर्म संसद सनातन धर्म के संरक्षण और उत्थान के लिए संगठित कदम उठाने का मंच बन सकती है।
- सनातन बोर्ड से जुड़े प्रस्ताव भारत में धार्मिक-सांस्कृतिक संरचनाओं के लिए नए दिशा-निर्देश तय कर सकते हैं।
महाकुंभ 2025 के दौरान होने वाली धर्म संसद और सनातन बोर्ड का गठन एक ऐतिहासिक पहल हो सकती है, जिसका उद्देश्य सनातन धर्म की धार्मिक-सांस्कृतिक संपत्तियों की रक्षा और धर्म से जुड़े संगठनों को सशक्त करना है। यह प्रस्ताव भविष्य में भारतीय धार्मिक संस्थानों के लिए संरचना और संरक्षण का आधार बन सकता है।