प्रयागराज के गंगापार इलाके में मौजूद गाजी सालार मसूद की मजार पर रामनवमी के अवसर पर ‘सुहेलदेव सम्मान सुरक्षा मंच’ के कार्यकर्ताओं ने भगवा झंडा लहराया। तीन युवक मजार की छत पर चढ़कर ‘ॐ’ अंकित भगवा ध्वज फहराते हुए ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते दिखे। इसके बाद संगठन ने प्रशासन को ज्ञापन सौंप कर मजार को “आक्रांता की कब्र” बताते हुए इसे ध्वस्त करने और वहां शिव मंदिर व महाराज सुहेलदेव का स्मारक बनाने की मांग की।
गाज़ी सालार मसूद की दरगाह पर भगवा झंडे, गूँजा ‘जय श्री राम’
बकौल मनेंद्र प्रताप सिंह, तीर्थराज प्रयागराज में किसी आक्रांता की कब्र नहीं होनी चाहिए। उन्होंने उस दरगाह को त्वरित रूप से ध्वस्त किए जाने की माँग करते हुए कहा कि इस जगह को हिन्दुओं को पूजा-पाठ के लिए सौंप दिया जाना चाहिए। सूचना मिलने के बाद यूपी पुलिस मौके पर पहुँची, लेकिन तबतक ये युवक वहाँ से जा चुके थे। ‘सुहेलदेव सम्मान सुरक्षा मंच’ के कार्यकर्ताओं ने डीएम और एसपी को ज्ञापन भी दिया है। जिस गंगापार इलाक़े में ये घटना हुई, वो प्रयागराज शहर से 40 किलोमीटर की दूरी पर है।
इस घटना पर DCP कुलदीप गुणावत का कहना है कि वीडियो की जाँच कराई जा रही है और इसमें दिख रहे युवकों की तलाश हो रही है। दरगाह की छत पर खड़े होकर युवकों ने ‘जय श्री राम’ के नारे भी लगाए। शाम के करीब 4 बजे बाइक से भगवा ध्वज के साथ इन युवकों ने रैली भी निकाली। रैली में 20 युवक शामिल थे। मनेंद्र प्रताप सिंह ‘करणी सेना’ के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं, साथ ही वो इलाहाबाद सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र नेता भी रहे हैं। संगठन द्वारा प्रशासन को सौंपे गए पत्र में लिखा है कि बहरिया के सिकंदरा में गाजी सालार मसूद की दरगाह बनी हुई है।
गाजी सालार मसूद को आक्रांता और हिन्दुओं का हत्यारा बताते हुए लिखा गया है कि ये मजार अवैध है, ऊपर से वो कभी सिकंदरा आया ही नहीं था। दावा किया गया है कि यहाँ शिवकंद्रा वाले महादेव, सती बड़े पुरुख का मंदिर था। ज्ञापन में झाड़फूँक के जरिए महिलाओं से अभद्रता और हिन्दुओं का धर्मांतरण के अलावा जमीन पर अवैध कब्जा करने कराने का आरोप लगाया गया है। वहाँ शिव-सती का मंदिर और महाराज सुहेलदेव का पार्क बनाने की माँग की गई है।
#प्रयागराज में #रामनवमी के मौके पर महाराजा सुहेलदेव सम्मान सुरक्षा मंच के कार्यकर्ताओं ने सालार मसूद गाजी की दरगाह पर भगवा झंडे फहराए और नारेबाज़ी की।
"हंगामे की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन हंगामा करने वाले युवक फरार हो चुके थे। ये दरगाह गंगापार इलाके में प्रयागराज शहर… pic.twitter.com/yjzkitPHWy
— ANUPAM MISHRA (@scribe9104) April 6, 2025
बता दें कि मई में लगने वाले वार्षिक नेजा मेले पर रोक लगाते हुए पुलिस ने इस दरगाह पर ताला लगा दिया था। हालाँकि, अंदर काम चलने की वजह से ताला जड़ा गया था और पुलिस ने बताया था कि लोगों की आवाजाही पर कोई रोकटोक नहीं है। गुरुवार (जुमेरात) और रविवार के दिन यहाँ बड़ी भीड़ उमड़ती है। अखिलेश यादव ने इस घटना को लेकर भाजपा पर सांप्रदायिक सियासत करने का आरोप लगाया। वहीं कांग्रेस प्रवक्ता हसीब अहमद ने इसे भाजपा द्वारा सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करार दिया।
कौन था आक्रांता गाज़ी सालार मसूद?
याद दिलाते चलें कि सालार मसूद क्रूर आक्रांता था, जिसने बड़े पैमाने पर हिंदुओं का नरसंहार किया और मंदिरों को ध्वस्त किया। इसी कारण उसे ‘गाजी’ (इस्लाम के लिए काफिरों से लड़ने वाला) की उपाधि मिली थी। सालार मसूद गाजी भारत में आक्रमण करने के दौरान जहाँ-जहाँ डेरा डाला था, वहाँ-वहाँ आज मुस्लिमों द्वारा उर्स मनाया जाता है। इनमें मेरठ का नौचंदी मेला, पुरनपुर (अमरोहा) का नेजा मेला, थमला और संभल के मेले प्रमुख हैं।1400 साल पहले सालार मसूद का अब्बा ‘बूढ़े बाबा’ अपनी बीवी और बेटों के साथ अजमेर शरीफ आ गया था।
यहीं पर सालार मसूद गाजी का जन्म हुआ। कहा जाता है कि बच्चे के जन्म के बाद उसकी बीवी वापस अफगानिस्तान चली गई। वहीं, अबू सैयद सालार साहू गाजी बूढ़े बाबा अपने बेटे सैयद सालार मसूद गाजी के साथ बाराबंकी के सतरिख आ गया। यहाँ पर अबू सैयद मर गया और दफना दिया गया। महमूद गजनी के नेतृत्व में सन 1026 ईस्वी में सैयद सालार मसूद गाजी ने सबसे बड़ा हमला सोमनाथ मंदिर पर किया था। बहराइच जिला मुख्यालय के पास सालार मसूद का मुकाबला महाराजा सुहेलदेव से हुआ।
महाराजा सुहेलदेव ने 21 अन्य छोटे-बड़े राजाओं के साथ मिलकर उसका सामना किया और आखिरकार इस गाजी का उपाधि धारण करने वाले इस आक्रांता को मार गिराया।