इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फर्जी मदरसों के लिए गठित की गई एसआईटी की रिपोर्ट को निरस्त करने से मना कर दिया है। इसके साथ ही न्यायालय ने कहा है कि रिपोर्ट के क्रियान्वयन पर जो रोक लगाई गई थी उस रोक को हटाया जा रहा है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आजमगढ़ के मदरसा अंजुमन सिद्दीकीया जामिया नूरूल उलूम और एक अन्य प्रबंध समिति की ओर से एसआईटी रिपोर्ट को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश सरकार ने मदरसों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि आजमगढ़ में 313 में से 219 मदरसे केवल कागजों पर संचालित हो रहे थे। धरातल पर इन मदरसों का कोई अस्तित्व ही नहीं था। इनमें से 39 को आधुनिकीकरण के नाम पर सरकारी भुगतान भी कर दिया गया था।
एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में फर्जी मदरसा संचालकों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की थी। रिपोर्ट में तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और रजिस्ट्रार को भी दोषी पाया गया था। मदरसा संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की संस्तुति की गई थी। एसआईटी की जांच रिपोर्ट को मदरसा संचालकों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज को कर दिया।