यूपी अल्पसंख्यक आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ने दारुल उलूम मदरसे के संचालकों को नोटिस दिया था, जिसके बाद मदरसा संचालकों ने सफाई दी है। संचालकों का कहना है कि उनके द्वारा छात्रों को इंग्लिश पढ़ने पर कोई रोक नहीं लगाई गई है।
दारुल उलूम के मुफ्ती अबुल कासिम मोहतमिम का कहना है कि संस्था द्वारा छात्रों के द्वारा परिसर से बाहर जाकर अंग्रेजी की कोचिंग लेने और कारोबार करने पर रोक लगाई गई है, ताकि वो मदरसा परिसर में रहकर अपनी पढ़ाई कर सकें। उन्होंने बताया कि कुछ छात्र अंग्रेजी, कंप्यूटर कोचिंग का बहाना बनाकर परिसर से बाहर जाते हैं, इस पर रोक लगाई गई है। दारुल उलूम में अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, कंप्यूटर पढ़ाया जाता है।
तीन दिन पहले दारुल उलूम के शिक्षा प्रभारी मुफ्ती हरिद्वारि ने ऐसा बयान दिया था कि यहां के बच्चे इंग्लिश की शिक्षा लेंगे तो उन्हें निष्कासित कर दिया जाएगा। जिसपर राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सहारनपुर डीएम दिनेश चंद्र को पत्र लिखकर कार्रवाई करने को कहा था। यूपी अल्पसंख्यक आयोग ने भी इस बारे में नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। सोशल मीडिया में इस मामले में दारुल उलूम की खासी किरकिरी भी हुई। आखिरकार बैकफुट पर आकर मुफ्ती कासिम को इस पर अपनी सफाई देनी पड़ी।