अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर के 161 फीट ऊंचे शिखर का निर्माण नवरात्र के पहले दिन से शुरू हो गया है। वैदिक आचार्यों के द्वारा शिखर की पहली शिला का विधि- विधान से पूजन किया गया। पूजित शिला से शिखर का निर्माण शुरू प्रारंभ किया गया। पूजित शिला पर श्री राम नाम अंकित किया। राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने निर्माण कार्यों की समीक्षा करने के बाद बताया कि तय समय सीमा में निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।
नागर शैली में बन रहे श्री राम मंदिर का शिखर भी उसी शैली का होगा। आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा ने श्री राम मंदिर के शिखर की डिजाइन को तैयार किया है। मंदिर के शिखर का निर्माण होने में चार महीने लगेंगे। मंदिर के शिखर का निर्माण गुजरात व राजस्थान के 300 कुशल कारीगर कर रहे हैं।
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि परकोटा सप्त मंडपम का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। वर्ष 2025 के दिसंबर माह तक यह कार्य पूरे हो जायेंगे। इसी के साथ शेषावतार मंदिर की नींव का कार्य भी शुरू हो गया है। मंदिर परिसर में पांच सौ लोगों के बैठने के लिए सभागार, अतिथि गृह, ट्रस्ट ऑफिस और तुलसीदास जी के मंदिर का निर्माण कार्य अभी शेष है।
इसका निर्माण कराने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसी के साथ ही नवरात्र के पहले दिन से राम दरबार में स्थापित होने वाली मूर्तियों को बनाने का कार्य भी शुरू हो गया है। मंदिर के प्रथम तल पर राम दरबार स्थापित होगा। राम दरबार की मूर्तियां तीन महीन में बनकर तैयार हो जाएंगी।
चंपत राय ने बताया कि मंदिर के दक्षिण-पूर्वी कोने के पास काफी स्थान उपलब्ध है। वहां पर दस से पंद्रह हजार लोगों के जूता-चप्पल रखने की सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी। श्रद्धालुओं को अभी नंगे पैर लंबी दूरी तक चलना पड़ता है। लगभग 12 घंटे में एक लाख लोग इस सुविधा को प्राप्त कर सकेंगे। परकोटे के बाहर जूता-चप्पल उतारने की व्यवस्था की जाएगी। यह व्यवस्था बन जाने के बाद नंगे पैर परिसर में चलने की दूरी कम हो जाएगी। जहां जूते और चप्पल उतारे जाएंगे वहीं पर हाथ-पैर धोने की व्यवस्था भी की जायेगी।