मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई एफएसडीए (खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन) विभाग की समीक्षा बैठक की प्रमुख बातें संक्षेप में प्रस्तुत हैं। इनसे यह स्पष्ट होता है कि उत्तर प्रदेश सरकार अब मिलावटखोरी और नकली दवाओं के कारोबार के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई के मूड में है।
1. मिलावटखोरों की सार्वजनिक पहचान
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मिलावटखोरी और नकली दवा व्यापार को “सामाजिक अपराध” करार दिया।
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ऐसे अपराधियों की तस्वीरें प्रमुख चौराहों पर लगाई जाएंगी, ताकि जनता उन्हें पहचान सके और समाज में उनके खिलाफ नकारात्मक संदेश जाए।
2. उत्पादक इकाइयों पर सैंपलिंग की व्यवस्था
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तेल, घी, दूध, पनीर, मसाले जैसे उत्पादों की जांच निर्माण स्थल पर ही की जाए।
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इसके लिए डेडिकेटेड टीमें बनाई जाएंगी।
3. खाद्य और औषधि प्रयोगशालाओं का विस्तार
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पहले केवल 6 मंडलों में प्रयोगशालाएँ थीं, अब 12 नए मंडलों में नई प्रयोगशालाएं और कार्यालय स्थापित किए गए हैं:
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अलीगढ़, अयोध्या, आजमगढ़, बरेली, बस्ती, चित्रकूट, कानपुर, मिर्जापुर, मुरादाबाद, प्रयागराज, सहारनपुर और देवीपाटन।
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लखनऊ, मेरठ, वाराणसी में आधुनिक माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशालाएं भी बन चुकी हैं।
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इन प्रयोगशालाओं में अब विषाणु, जीवाणु, माइक्रोटॉक्सिन्स आदि की गहराई से जांच संभव है।
4. प्रयोगशालाओं के लिए ‘कॉर्पस फंड’ का सुझाव
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संचालन व रखरखाव के लिए एक स्थायी निधि (कॉर्पस फंड) की स्थापना का प्रस्ताव।
5. नकली दवा कारोबार पर सख्ती
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पुलिस और एफएसडीए के बीच समन्वय को और मजबूत किया जाएगा।
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नकली औषधियों के खिलाफ प्रवर्तन कार्यवाहियों की समीक्षा की गई।
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निर्देश: सटीक और प्रभावी जांच व कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
6. पेशेवर रक्तदाताओं की पहचान और नियंत्रण
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कमर्शियल ब्लड डोनेशन पर रोक के लिए रणनीति तैयार करने को कहा।
मुख्य संदेश:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया कि:
“जनता के स्वास्थ्य से कोई समझौता नहीं होगा। मिलावटखोरों को बख्शा नहीं जाएगा। सरकार की नीति जीरो टॉलरेंस की है।”