विश्व हिन्दू परिषद ने गौहत्या रोकने के लिए केन्द्रीय स्तर पर कठोर कानून बनाने की मांग की है। महाकुंभ में विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित गौरक्षा सम्मेलन में गौसंरक्षण, गौवंश संवर्द्धन और गोचर भूमि की रक्षा का संकल्प लिया गया। विहिप के गौरक्षा सम्मेलन में गाय को राष्ट्रीय सांस्कृतिक धरोहर घोषित करते हुए गोपाष्टमी को राष्ट्रीय पर्व घोषित करने व भारतीय नस्ल की गायों के संरक्षण संवर्द्धन हेतु गो-संवर्द्धन मंत्रालय की स्थापना करने की मांग की गई।
यह खबर महाकुंभ में विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित गौरक्षा सम्मेलन और उनकी मांगों पर केंद्रित है। इसमें गोरक्षा, गौसंरक्षण, गोचर भूमि की सुरक्षा, गाय को राष्ट्रीय सांस्कृतिक धरोहर घोषित करने और गोरक्षा संबंधी कानूनों को सख्त करने की बात की गई है।
मुख्य बिंदु:
- केन्द्रीय कानून की मांग – गौहत्या रोकने के लिए सख्त राष्ट्रीय कानून बनाने पर जोर।
- गाय को राष्ट्रीय सांस्कृतिक धरोहर घोषित करने की मांग।
- गोपाष्टमी को राष्ट्रीय पर्व घोषित करने का प्रस्ताव।
- गो-संवर्द्धन मंत्रालय की स्थापना करने की मांग।
- गोचर भूमि को अतिक्रमण मुक्त कर गोचर प्राधिकरण के गठन की मांग।
- कत्लखानों के स्थान पर गौ-अभयारण्य स्थापित करने की बात।
- मांस निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग।
- जेलों में गौशालाएँ खोलने और गौवंश संरक्षण को पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग।
महत्वपूर्ण संदर्भ:
- विहिप का कहना है कि गोधन भारत की आत्मा है और यह केवल धार्मिक नहीं बल्कि आर्थिक, पर्यावरणीय और जैविक कृषि के लिए भी महत्वपूर्ण है।
- कुंभ को भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपराओं के पुनर्जागरण का अवसर बताया गया।
- सम्मेलन में गोरक्षा विभाग के प्रमुखों और संरक्षकों ने प्रस्ताव पारित किया।
यह प्रस्ताव एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जिसमें धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक पहलुओं को जोड़ा गया है। क्या आप इस पर और गहराई से चर्चा या विश्लेषण चाहते हैं?