ज्ञानवापी केस में मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाई कोर्ट से झटका लगा है. कोर्ट ने सर्वे को चुनौती देने वाली सभी पांच याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दी. कोर्ट ने माना है कि यहां प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता. 1991 के केस के ट्रायल को भी कोर्ट ने मंजूरी दे दी है. याचिकाएं ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा दायर की गई थीं.
इन याचिकाओं में वाराणसी की अदालत के 8 अप्रैल 2021 को दी गई उस व्यवस्था को भी चुनौती दी गई थी, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण कराने का निर्देश दिया गया था. कोर्ट ने पूजा के अधिकार की मांग को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की 3 याचिकाएं खारिज की है. इसके अलावा ASI सर्वे के आदेश को चुनौती देने वाली 2 याचिकाएं खारिज हुई हैं.
हाई कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष ने प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि वे हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे. यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है. मस्जिद की इंतजामियां कमेटी भी सुप्रीम कोर्ट जाएगी.
फैसले का क्या असर होगा?
हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब निचली अदालत पूजा के अधिकार को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई और फैसला दे सकेगी. मथुरा समेत अन्य मामलों में भी हाई कोर्ट के मौजूदा फैसले का हवाला मुस्लिम पक्ष के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 के दावे के जवाब में हिंदू पक्ष में दिया जाएगा. स्वामित्व से इतर किसी धार्मिक स्थल पर पूजा के दावे या सर्वे के अधिकार या अन्य स्थितियों की मांग पर निचली अदालत सुनवाई कर सकेगी. सिविल प्रोसीजर कोर्ट (सीपीसी) का आदेश 7 नियम 11 ऐसे मामले में लागू नहीं होगा. प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 हरेक स्थिति पर लागू नहीं होता.
ज्ञानवापी में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट लागू नहीं होने से क्या होगा?
-वाराणसी की कोर्ट पूजा के अधिकार पर फैसला करेगी – मथुरा केस में भी आज के फैसले की दलील दी जा सकती है – देश भर में विवादित धार्मिक स्थल पर पूजा के अधिकार की मांग की जा सकेगी – हाई कोर्ट ने साफ कर दिया कि ऐसे मामलों में निचली अदालत सुनवाई कर सकती है – सिविल प्रोसीजर कोर्ट का ऑर्डर 7, रूल 11 ऐसे मामलों में लागू नहीं होगा
ज्ञानवापी विवाद क्या है ?
बता दें कि अगस्त 2021 में 5 महिलाओं ने वाद दायर किया था. उन्होंने मस्जिद के पास श्रृंगार गौरी मंदिर में दर्शन-पूजा की मांग की थी. जज रवि दिवाकर ने एडवोकेट सर्वे का आदेश दिया था. 3 दिन के सर्वे में शिवलिंग मिलने का दावा किया गया.हिंदू पक्ष ने वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया. मुस्लिम पक्ष ने कहा कि शिवलिंग नहीं फव्वारा है. हिंदू पक्ष की याचिका पर वजूखाना सील किया गया. बाद में 4 महिलाओं ने ASI सर्वे की मांग की.विवादित हिस्से को छोड़कर ASI सर्वे की मांग की गई. जिला जज एके विश्वेस ने ASI सर्वे का आदेश दिया. 24 जुलाई को सर्वे शुरू हुआ, जो 2 नवंबर को पूरा हुआ.