अयोध्या , भगवान राम की जन्मभूमि, सदियों से करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रही है। अब यह दिव्य नगरी एक और ऐतिहासिक और आध्यात्मिक क्षण की साक्षी बन गई है, जहां भक्त एक साथ रामलला और राजा राम – भगवान राम के दो विशेष स्वरूपों – के दर्शन कर सकते हैं। 3 जून 2025 से शुरू होकर 5 जून को संपन्न हुए द्वितीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अंतर्गत राम मंदिर के पहले तल पर राम दरबार की स्थापना की गई, जिसमें भगवान राम अपने राजसी स्वरूप में विराजमान हैं। इस दरबार में माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान जी की मूर्तियाँ भी सम्मिलित हैं, जो भगवान राम को एक आदर्श राजा, मर्यादा पुरुषोत्तम और न्यायप्रिय शासक के रूप में प्रस्तुत करती हैं। यह रूप रामराज्य की झलक देता है, जब उन्होंने 11,000 वर्षों तक अयोध्या पर शासन किया और समाज में न्याय, धर्म और मर्यादा की स्थापना की।
वहीं, रामलला की प्रतिमा, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को की गई थी, भगवान राम के बाल स्वरूप को दर्शाती है। कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा श्याम शिला पत्थर से निर्मित यह 4.24 फीट ऊँची प्रतिमा अलौकिक सुंदरता और दिव्यता का प्रतीक है। भगवान राम इस प्रतिमा में धनुष-बाण लिए हुए हैं और साथ ही सूर्य, स्वस्तिक, ॐ, गदा और चक्र जैसे प्रतीकों के माध्यम से उनके दस अवतारों का भी प्रतीकात्मक चित्रण किया गया है। यह स्वरूप उनकी मासूमियत और दैवीय शक्ति का अद्वितीय संगम है, जो भक्तों को भक्ति, श्रद्धा और भावनात्मक जुड़ाव की अनुभूति कराता है।
#WATCH Uttar Pradesh CM Yogi Adityanath attends Pran Pratishtha rituals of Ram Darbar at Shri Ram Janmabhoomi Temple in Ayodhya pic.twitter.com/s9iofd7hG7
— ANI (@ANI) June 5, 2025
इन दोनों प्रतिमाओं का एक साथ दर्शन भक्तों के लिए एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव है, क्योंकि ये भगवान राम के जीवन के दो प्रमुख आयामों – बाल्यकाल की मासूमियत और राजसी मर्यादा – को सजीव करते हैं। रामलला का स्वरूप श्रद्धालुओं को आत्मिक शांति और निर्मल भक्ति की ओर प्रेरित करता है, जबकि राजा राम का भव्य दरबार उन्हें जीवन में धर्म, मर्यादा और आदर्श शासन के महत्व की स्मृति कराता है। इस प्रकार, अयोध्या का राम मंदिर अब न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि भगवान राम के बहुआयामी व्यक्तित्व को आत्मसात करने का भी अनुपम स्थल बन गया है।