चीन अपनी विस्तारवादी नीति अपनाने में पीछे नहीं हट रहा है. भारत के साथ पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध के बीच चीनी सेना उत्तराखंड के अपोजिट नीती दर्रे के नजदीक अपने इलाके में कैंप तैयार कर रही है. आर्मी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, चीन की पीएलए (PLA) सेना इस इलाके में रोड निर्माण के साथ-साथ हेलीपैड भी बना रही है.
आर्मी सूत्रों की मानें तो चीन उत्तराखंड के अपोजिट मिडिल सेक्टर को एयर कनेक्टिविटी से जोड़ने का प्रयास कर रहा है. चीन की इन हरकतों से ये साबित होता है कि वो अब नार्दर्न और ईस्टर्न सेक्टर के बाद अब वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के शांत इलाकों में एंट्री कर रहा है.
ये एरिया उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश से सटे एलएसी के पास है जहां चीन मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्टर और कनेक्टिविटी बढ़ाने पर काम कर रहा है. नीती दर्रे के नजदीक सारंग और पोलिंग जिंद में हेलीपैड्स तैयार किए जा रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि नीती दर्रे और तुंजुन दर्रे के नजदीक चीनी आर्मी के नए कैंप भी बनाए गए हैं.
1962 के चीन-भारत युद्ध के बाद से ही नीती दर्रा बंद है, जबकि युद्ध के पहले यह भारत और तिब्बत के बीच एक व्यापारिक मार्ग था और लंबे अरसे से इसका इस्तेमाल किया जा रहा था. सूत्रों ने कहा कि चीन थोलिंग सेक्टर से 45 किलोमीटर दूर एक सीमावर्ती गांव भी बसा रहा है. गांव से कुछ मीटर की दूरी पर एक सैन्य परिसर भी बना रखा है.
रक्षा और रणनीतिक विश्लेषकों की माने तो बीजिंग भार को चारों तरफ से घेरने का प्रयास कर रहा है. पिछले तीन साल में बॉर्डर के आसपास उसकी गतिविधियों में तेजी से बदलाव देखने को मिला है. चीन जहां पहले शांत बैठा था वहां अब हेलीपैड और रोड का निर्माण कर रहा है. विश्लेषकों का मानना है कि भारत को चीन के खिलाफ एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा.
एलएसी के नजदीक चीन की हरकतों को देखते हुए भारत भी बॉर्डर के पास अपनी ताकत को बढ़ा रहा है. भारत की ओर से सड़क और पुल निर्माण सहित कई बुनियादी ढांचों के विकास के लिए शुरू की गई परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है. इसके जरिए उन प्वाइंट पर भारतीय सेना के जवानों की पहुंच आसान हो जाएगी.