हाईकोर्ट के निर्देश पर जोशीमठ भवन और भूमि में आई दरारों को लेकर विभिन्न एजेंसियों की रिपोर्ट को सरकार ने सार्वजनिक कर दिया है। वहीं, नैनीताल में दोमंजिला भवन गिरने के बाद जिला विकास प्राधिकरण ने क्षेत्र को संवेदनशील घोषित करते हुए 24 घरों में निशान लगा दिए हैं। कई परिवारों को स्थान छोड़ने के लिए भी कह दिया गया है।
पहाड़ों में कंक्रीट का बोझ बढ़ने के कारण पहाड़ियां दरक रही हैं। जल स्रोतों के रास्तों पर पक्के निर्माण हो जाने से पानी का विस्फोट हो रहा है। इसकी वजह से जोशीमठ में भूमि में दरारें और घरों की दीवारों और जमीनों से पानी निकल रहा है। ऐसा जोशीमठ की भू जांच रिपोर्ट में जानकारी दी गई है।
वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान की रिपोर्ट में इस बात का प्रमुखता से जिक्र किया गया है कि जोशीमठ की मिट्टी का ढांचा बोल्डर, बजरी और मिट्टी का एक जटिल मिश्रण है। यहां बोल्डर भी ग्लेशियर से लाई गई बजरी और मिट्टी से बने हैं, इनमें ज्वाइंट प्लेन हैं, जो इनके खिसकने का एक बड़ा कारण हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी मिट्टी में आंतरिक क्षरण के कारण संपूर्ण संरचना में अस्थिरता आ जाती है। इसके बाद पुन: समायोजन होता है, जिसके परिणामस्वरूप बोल्डर धंस रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि धंसाव का मुख्य कारण आंतरिक क्षरण ही प्रतीत होता है। यहां जोशीमठ के विस्तार के साथ ही ऊपर से बहने वाले प्राकृतिक नाले का बहाव बाधित हुआ है। नाले का पानी लगातार जमीन के भीतर रिस रहा है। बीते 10 वर्षों में हुई अत्यधिक वर्षा ने भी नुकसान के स्तर को बढ़ाया है।
जोशीमठ के संवेदनशील क्षेत्रों में 11 स्थानों में भूकंपीय गतिविधियों का अध्ययन करने के लिए स्टेशन भी स्थापित किए गए हैं। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) और राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच) ने जोशीमठ में अध्ययन के बाद अपनी रिपोर्ट में चमोली जिले में अलकनंदा नदी पर एनटीपीसी की 520 मेगावाट विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना को ”क्लीन चिट’ दी है। गत् पांच जनवरी को स्थानीय निवासियों के विरोध के बाद राज्य सरकार ने एनटीपीसी परियोजना स्थल पर सभी काम रोक दिए थे।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जोशीमठ में जेपी कॉलोनी में पानी के तेज बहाव का परियोजना से कोई संबंध नहीं है। रिपोर्ट में पानी के नमूनों के वैज्ञानिक विश्लेषण के बाद दावा किया गया है कि जेपी कॉलोनी में पानी का रिसाव ऊपरी इलाके से संबंध रखता है।
नैनीताल भी खतरे में
नैनीताल में अल्मा और चोटर्न लॉज क्षेत्र में दो मंजिला मकान के ढह जाने के बाद नैनीताल विकास प्राधिकरण ने यहां 24 मकानों को संवेदनशील मानते हुए लाल निशान लगा दिए हैं। आयर पाटा का ये क्षेत्र पहले से ही खतरनाक जोन में रहा है। यहां से मकान खाली करवा कर लोगों को होटलों में रुकवाया गया है। इन्हें घर में खाना बनाने के लिए आने-जाने दिया जा रहा है किंतु रात्रि में वहां रुकने नहीं दिया जा रहा है। प्राधिकरण के अभियंता और कर्मचारी लगातार सर्वे कर रहे हैं और हालात का जायजा ले रहे हैं।
प्राधिकरण के सचिव पंकज उपाध्याय का कहना है कि जान-माल के नुकसान का जोखिम नहीं ले सकते हैं, मकानों के नीच पहाड़ी दरकने के लक्षण मिले हैं। भू कटाव हो रहा है, हमने कट्टे तिरपाल लगाए हैं, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है।
इस पहाड़ी पर 1989 के बाद बने सभी निर्माण पहले से अवैध घोषित हैं। पर्यावरण विशेषज्ञ और इतिहासकार प्रो अजय रावत का कहना है कि कोई सुनता नहीं है, इसलिए ऐसे हालात पैदा हो गए हैं। हम बराबर कहते रहे हैं कि भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में मकान नहीं बनाए।