देवभूमि उत्तराखंड अपने धार्मिक महत्व और प्राकृतिक रहस्यों के लिए जानी जाती है। अब इसी देवभूमि से एक और अद्भुत और रहस्यपूर्ण खोज सामने आई है। पिथौरागढ़ ज़िले की सेलीपाख ग्राम पंचायत के भूमका नामक स्थान पर एक रहस्यमयी गुफा मिली है, जहाँ से एक विशालकाय मानव खोपड़ी, करीब दो फीट लंबी जांघ की हड्डी और अन्य संरचनाएं मिली हैं।
इस रहस्य की खोज की है चौकोड़ी निवासी और इतिहास में रुचि रखने वाले तरुण मेहरा ने, जिन्होंने स्थानीय लोककथाओं के आधार पर इस स्थान की पड़ताल की और खुद इस गुफा में प्रवेश कर आश्चर्यजनक जानकारियाँ जुटाईं।
60 फीट गहरा सिंकहोल, 200 फीट लंबी ढलान
तरुण मेहरा के अनुसार यह कोई साधारण गुफा नहीं, बल्कि एक प्राकृतिक सिंकहोल है, जो अब करीब 60 फीट गहरा हो गया है और फिर लगभग 200 फीट तक भीतर की ओर ढलान में चला जाता है। यह पूरा इलाका चूना पत्थर (Limestone) की भूगर्भीय संरचना वाला है, जिसमें समय के साथ पानी के रिसाव से इस तरह की गुफाएं और सिंकहोल बनते हैं।
लोककथाओं में ‘भ्रमराक्षस’ का बसेरा
स्थानीय बुजुर्गों की मानें तो दशकों से यह स्थान ‘भूतिया’ माना जाता रहा है। एक प्राचीन लोककथा के अनुसार यहां कभी भ्रमराक्षस रहता था, जो राहगीरों को खींच कर इस गड्ढे में गिरा देता था। कुछ ग्रामीणों ने वर्षों पहले इस गड्ढे में लोहे की चेनें भी देखी थीं, जिससे कथित रूप से लोगों को बांध कर रखा जाता था।
क्या है इसका ऐतिहासिक और वैज्ञानिक महत्व?
तरुण मेहरा ने इस गुफा की जानकारी जिला प्रशासन को दे दी है और पुरातत्व विभाग व इतिहासकारों से इसके वैज्ञानिक और ऐतिहासिक विश्लेषण की माँग की है। इस गुफा की गहराई, अंदर पाई गई विशाल हड्डियाँ और लोककथाओं से जुड़ाव यह संकेत देते हैं कि यहाँ किसी प्राचीन सभ्यता, विशाल मानव जाति या अज्ञात ऐतिहासिक घटना के संकेत हो सकते हैं।
शोध की आवश्यकता
यह खोज सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के इतिहास और भूगर्भीय अध्ययन के लिए एक बड़ा अवसर है। यदि पुरातत्व और विज्ञान के विशेषज्ञ इस स्थान पर समुचित शोध करें, तो यह रहस्य देवभूमि के एक और अध्याय को उजागर कर सकता है।
संभावित सुझाव:
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यह जगह एडवेंचर टूरिज्म और हेरिटेज रिसर्च के लिए विकसित की जा सकती है।
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स्थानीय प्रशासन द्वारा सुरक्षा इंतज़ाम और संरक्षित प्रवेश की व्यवस्था होनी चाहिए।
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पुरातत्व विभाग को जल्द से जल्द सर्वेक्षण करना चाहिए।