उत्तराखंड में पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने और राज्य को स्वच्छ व हरित बनाने की दिशा में मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) के तहत राज्य में प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस योजनाओं और नीतियों पर जोर दिया गया है।
बैठक के मुख्य बिंदु और दिशा-निर्देश:
- ईवी चार्जिंग स्टेशन का विस्तार:
- शॉपिंग मॉल और सार्वजनिक स्थलों पर इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के लिए चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के निर्देश।
- इलेक्ट्रिक वाहनों के अनुकूल इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने पर बल।
- स्क्रैप पॉलिसी का सख्त पालन:
- सभी विभागों को वाहनों से संबंधित स्क्रैप पॉलिसी का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश।
- ग्रीन बेल्ट और बांस के पौधे:
- शहरों के बीच ग्रीन बेल्ट विकसित करने पर जोर।
- सड़कों के मध्य और ट्रैफिक कॉरिडोर में बांस के पौधे लगाने को प्राथमिकता देने का निर्देश।
- प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक्शन प्लान:
- देहरादून, ऋषिकेश और काशीपुर में स्वच्छ वायु एक्शन प्लान तैयार करने का निर्देश।
- वर्ष 2025-26 तक प्रदूषकों की मात्रा में 40% तक की कमी लाने का लक्ष्य।
- कूड़ा-कचरा प्रबंधन:
- कूड़ा जलाने की गतिविधियों को नगर निगम स्तर पर गठित टास्क फोर्स द्वारा ट्रैक करने का निर्देश।
- मलिन बस्तियों सहित 100% डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन सुनिश्चित करने पर जोर।
- महिला मंगल दलों की भागीदारी से कूड़ा फैलाने की गतिविधियों पर रोक लगाने की पहल।
- डस्ट कंट्रोल और ट्रैफिक मैनेजमेंट:
- मुख्य जंक्शनों पर इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम स्थापित करने का निर्देश।
- सड़कों के सुधार और धूल नियंत्रण के लिए ठोस उपाय।
- सार्वजनिक भागीदारी:
- राज्य में पर्यावरण सुधार के लिए स्थानीय समुदाय, विशेष रूप से महिला मंगल दलों की भागीदारी को बढ़ावा।
उद्देश्य:
मुख्य सचिव ने सभी संबंधित विभागों से आग्रह किया कि वे प्रदूषण को कम करने के लिए ठोस और प्रभावी योजनाओं को अमल में लाएं। यह कदम 2025-26 तक प्रदूषण के स्तर को 40% तक कम करने और राज्य को पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित और स्वच्छ बनाने के लक्ष्य के तहत उठाए गए हैं।
उत्तराखंड सरकार द्वारा उठाए गए ये कदम न केवल पर्यावरण संरक्षण में मदद करेंगे बल्कि राज्य को प्रदूषण मुक्त, हरित और टिकाऊ विकास की दिशा में अग्रसर करेंगे। इसमें इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा, ग्रीन बेल्ट का विकास, और कूड़ा-कचरा प्रबंधन जैसे प्रयास महत्वपूर्ण साबित होंगे।