उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा “एक देश, एक चुनाव” विषय पर संयुक्त संसदीय समिति के साथ हुए संवाद में दिए गए महत्वपूर्ण विचारों और तर्कों को दर्शाती है।
“एक देश, एक चुनाव” पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का दृष्टिकोण
प्रसंग:
- संवाद का आयोजन: “एक देश, एक चुनाव” विषय पर
- आयोजक: संयुक्त संसदीय समिति
- अध्यक्ष: पी. पी. चौधरी
- स्थान: उत्तराखंड
- मुख्य अतिथि: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
मुख्य बातें जो मुख्यमंत्री ने रखीं:
लोकतंत्र को सशक्त करने की दिशा में पहल
- “एक देश, एक चुनाव” लोकतंत्र को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और समावेशी बनाएगा।
- बार-बार होने वाले चुनावों से नीतिगत कार्यों में बाधा आती है।
बार-बार आचार संहिता से नुकसान
- 3 वर्षों में उत्तराखंड में 175 दिन आचार संहिता के कारण प्रशासनिक निर्णय रुक गए।
- सीमित संसाधनों वाले राज्य के लिए ये दिन अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं।
वित्तीय लाभ की संभावना
- विधानसभा चुनाव का व्यय राज्य, लोकसभा का व्यय केंद्र सरकार वहन करती है।
- दोनों चुनाव एक साथ होने पर खर्च आधा-आधा होगा।
- कुल खर्च में 30-35% तक की बचत संभव, जो विकास कार्यों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क आदि में लगेगी।
भौगोलिक और मौसमी कठिनाइयाँ
- जून-सितंबर में चारधाम यात्रा और मानसून होने से चुनावी प्रक्रिया बाधित होती है।
- फरवरी-मार्च में बोर्ड परीक्षाएं और वित्तीय वर्ष का अंतिम चरण – प्रशासनिक दबाव बढ़ता है।
पर्वतीय राज्यों के लिए विशेष महत्त्व
- दुर्गम क्षेत्रों में मतदान केंद्र तक पहुंच कठिन और खर्चीली होती है।
- बार-बार चुनावों से मतदाता उत्साह कम होता है, और वोटिंग प्रतिशत गिरता है।
मुख्यमंत्री धामी का निष्कर्ष:
“एक देश, एक चुनाव केवल एक प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि एक नीतिगत क्रांति है, जिससे भारत का लोकतंत्र और विकास प्रक्रिया दोनों मजबूत होंगे।”