डीएम वंदना के आदेश पर बंद कराए गए स्लाटर हाउस को लेकर अब तरह-तरह की चर्चाएं सामने आ रही हैं। बताया जा रहा है कि यहां अनुमति 25 पशुओं के काटे जाने की थी, लेकिन आधुनिक मशीनों के जरिए करीब 250 बैल-भैंसों को काटा जा रहा था। मांस दूसरे राज्यों तक भेज रहे थे।
ऐसी जानकारी भी मिली है कि पुलिस-नगर प्रशासन के अधिकारियों की मिलीभगत से स्लाटर हाउस पिछले कई वर्षों से मानकों के विपरीत काम कर रहा था और हर महीने एक मोटी रकम स्लाटर हाउस के कारोबारियों द्वारा उनके घर पहुंचाई जाती रही है।
बीजेपी के मंडल अध्यक्ष मदन सिंह का कहना है कि स्लाटर हाउस मानकों से चल रहा होता तो हमें कोई ऐतराज नहीं होता। हम नहरों-नालियों को खून से लाल होता नहीं देख सकते। यहां अनुमति से ज्यादा पशु काटे जा रहे हैं, जिस पर हमें ऐतराज था और हमने डीएम के समक्ष मामला उठाया। बताया गया है कि डीएम वंदना चौहान ने इस मामले की जांच पड़ताल के लिए एक टीम बनाई और शिकायतें सही पाए जाने के बाद ही इस स्लाटर हाउस को बंद करवाया गया है।
खास बात ये कि सामाजिक कार्यकर्ता मो जफर ने रामनगर में इस स्लाटर हाउस के बारे में चौंकाने वाले खुलासे किए और कहा कि रामनगर के चेयरमैन अकरम के संरक्षण में ये स्लाटर हाउस मानकों के विपरीत काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि मानक ये कहते है कि बूढ़ी भैंसों को काटा जाएगा लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि स्लाटर हाउस केवल रामनगर और नजदीकी गांव वालों के लिए हैं, किंतु यहां जसपुर, अफजलगढ़ बिजनौर तक से पशु लाकर काटे जा रहे हैं। यहां से मांस पंद्रह से बीस गाड़ियों में पैक होकर आखिर कहां जा रहा है ? उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन के लोग लाखों की रिश्वत खाकर घिनौना काम करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष से भी शिकायत की थी कि उनकी जांच आती थी और दबा दी जाती थी।
उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले नगर प्रशासन की टीम ने इस स्लाटर हाउस का सर्वे किया था और यहां गंदगी और जानवरों की संख्या देखकर पाया था कि मानकों को ताक पर रखकर पशु काटे जा रहे हैं। सर्वे रिपोर्ट के बाद डीएम ने इसे बंद करवा दिया था।