उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के बाद किसी से भी निकाह कर लेना आसान नहीं होगा। यूसीसी अधिनियम में 74 ऐसे रिश्तों का उल्लेख है जिनके साथ न निकाह हो सकता है और न ही उनके साथ लिव-इन रिलेशन में रहा जा सकता है। अगर ऐसा करते हैं तो इस बारे में मौलानाओं/पुजारियों को बताना होगा। वहीं रजिस्ट्रार को भी सूचना देनी होगी ताकि वह तय करें कि रिश्ता सार्वजनिक नैतिकता के खिलाफ है या नहीं। अगर रिश्ता नियमों के विरुद्ध पाया जाता है तो रजिस्ट्रेशन कैंसिल होगा।
किन रिश्तों में नहीं हो सकता निकाह
UCC के अंतर्गत किन रिश्तों में निकाह को कानूनी रूप से निषिद्ध किया गया है, इसे आप नीचे दी गई सूची से समझ सकते हैं। ये सूची बताती है कि UCC लागू होने के बाद पुरुष किन महिलाओं और महिलाएँ किन पुरुषों से विवाह नहीं कर सकेंगी।
कोई भी पुरुष इन महिलाओं से विवाह नहीं कर सकेगा | कोई भी महिला इन पुरुषों से विवाह नहीं कर सकेगी |
बहन | भाई |
भांजी | भांजा |
भतीजी | भतीजा |
मौसी | चाचा/ताऊ |
चचेरी बहन | फुफेरा भाई |
फुफेरी बहन | मौसेरा भाई |
मौसेरी बहन | ममेरा भाई |
ममेरी बहन | नातिन का दामाद |
माँ | पिता |
सौतेली माँ | सौतेला पिता |
नानी | दादा |
सौतेली नानी | सौतेला दादा |
परनानी | परदादा |
सौतेली परनानी | सौतेला परदादा |
माता की दादी | परनाना (पिता का नाना) |
माता की दादी | सौतेला परनाना |
दादी | नाना |
सौतेली दादी | सौतेला नाना |
पिता की नानी | परनाना |
पिता की सौतेली नानी | सौतेला परनाना (माता का सौतेला परनाना) |
पिता की परनानी | माता के दादा |
पिता की सौतेली परनानी | माता का सौतेला दादा |
परदादी | बेटा |
सौतेली परदादी | दामाद |
बेटी | पोता |
बहू (विधवा) | बेटे का दामाद |
नातिन | नाती |
पोती | बेटी का दामाद |
पोते की विधवा बहू | परपोता |
परनातिन | पोते का दामाद |
परनाती की विधवा | बेटे का नाती |
बेटी के पोते की विधवा | पोती का दामाद |
बेटे की नातिन | बेटी का पोता |
परपोती | नाती का दामाद |
परपोते की विधवा | नातिन का बेटा |
नाती की विधवा | माता का नाना |
इन सभी रिश्तों में किए गए विवाह को UCC के अंतर्गत वैध रिश्ते नहीं माना जाएगा। गौरतलब है कि हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत यह बंदिशें पहले से देश की बहुसंख्यक आबादी पर लागू थीं। अब यह उत्तराखंड के भीतर पूरी जनता पर और हर समुदाय पर लागू होंगी।
उत्तराखंड में लागू यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के तहत लिव-इन रिलेशनशिप को एक विशेष कानूनी ढांचे में परिभाषित किया गया है। नए नियमों के अनुसार:
- लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य है और इसे एक महीने के भीतर करना होगा।
- पंजीकरण के लिए 16 पन्नों का फॉर्म भरना होगा।
- जोड़े को यह प्रमाणित करना होगा कि उनका संबंध निषिद्ध श्रेणी में नहीं आता है, या यदि आता है तो उनके समुदाय के रीति-रिवाज इसकी अनुमति देते हैं।
- समुदाय के प्रमुखों से प्रमाणपत्र प्राप्त किया जा सकता है, जो रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में सहायक होगा।
- रजिस्ट्रार को प्रमाणपत्र की संक्षिप्त जांच करनी होगी, जिसके बाद ही लिव-इन रिलेशन को मान्यता दी जाएगी।
UCC की लागू होने की प्रक्रिया
- उत्तराखंड में 27 जनवरी 2025 से UCC लागू हुआ।
- इसे लागू करने के लिए 27 मई 2022 को जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति बनाई गई थी।
- इस समिति ने 60,000 से अधिक लोगों से चर्चा की और 70 मंचों पर विचार-विमर्श किया।
- 700 से अधिक पन्नों की रिपोर्ट तैयार कर 2 फरवरी 2024 को सरकार को सौंपी गई।