हाईकोर्ट में शुक्रवार को शत्रु सम्पत्ति मेट्रोपोल के मामले में सुनवाई हुई। खंडपीठ ने कब्जेदारों की याचिका खारिज कर दी। याचिकाकर्ता महमूद अली और अन्य कब्जेदारों ने मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ से कहा कि वे अंडरटेकिंग नहीं दे सकते और कोर्ट आदेश पारित कर दे। खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए ध्वस्तीकरण रोकने से इंकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के सामने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता जितेंद्र चौधरी ने दोपहर लंच के बाद उपस्थित होकर कहा कि वे अंडरटेकिंग नहीं दे सकते हैं। उन्हें मानवता के नाते अतिक्रमण हटाने के लिए कुछ समय दिया जाए। इस पर खंडपीठ ने साफ कहा कि वह याचिका को खारिज कर रही है। अतिक्रमण करने वालों को कोई समय नहीं देंगे।
इससे पहले हाईकोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता और अन्य अवैध कब्जेदार एक अंडरटेकिंग देकर ये कहें कि वे दस दिनों के भीतर अतिक्रमण हटा देंगे। ऐसा नहीं करने पर न्यायालय अपना आदेश सुनाएगा। मामले के अनुसार याचिकाकर्ता महमूद अली व अन्य ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर कहा था कि उनके मकान ध्वस्तीकरण पर रोक लगाई जाए। एसडीएम ने उन्हें नोटिस जारी कर उनका पक्ष सुना और उन्हें जमीन खाली करने को कहा। वे 100 वर्षों से उस भूमि पर काबिज हैं और अब कहां जाएं? मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वरिष्ठ अधिवक्ता बी.पी.नौटियाल ने अपना पक्ष रखा। याचिकाकर्ता के ही दूसरे अधिवक्ता जितेंद्र चौधरी ने न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर जिरह की। मामले की सुनवाई दोपहर लंच से पूर्व लगभग 12:06 बजे शुरू हुई।
वरिष्ठ अधिवक्ता बीपी नौटियाल और अधिवक्ता जितेंद्र चौधरी ने न्यायालय को शत्रु सम्पत्ति अधिनियम के बारे में बताते हुए आपना पक्ष रखा। वरिष्ठ अधिवक्ता नौटियाल ने कहा कि मैट्रोपोल की शत्रु सम्पत्ति में कब्जेदार हिंदुस्तानी ही हैं। उन्होंने पब्लिक प्रेमिसिस एक्ट(पी.पी.एक्ट.), शत्रु सम्पत्ति एक्ट और रूल ऑफ लॉ पर अपनी बात रखी। महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने कहा कि मेट्रोपोल कंपाउंड में सभी अवैध कब्जेदार हैं। यहां 134 लोग चिन्हित हुए हैं। महाधिवक्ता और सीएससी चंद्रशेखर सिंह रावत ने सरकार का पक्ष प्रभावशाली ढंग से रखा। बताया कि वर्ष 2010 में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद शत्रु सम्पत्ति का कब्जा प्रशासन ने ले लिया था। उस समय वहां कुल 116 आवासीय भवन चिन्हित हुए थे।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि किस अधिकार से आप भूमि को अपना कह रहे हैं। आप इसे शत्रु सम्पत्ति कह रहे हैं तो क्या हुआ, आपको कब्जा करने का अधिकार मिल गया क्या ? मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आप अपना टाइटल संबंधित न्यायालय में जाकर डिसाइड कराएं, वो यहां इसे तय नहीं करेंगे।