जंगल के रखवाले माने जाने वाले और शाकाहारी जीवन जीने वाले मुस्लिम वन गुज्जर अब बाघ और हाथी जैसे वन्यजीवों का शिकार करने लगे हैं। वन विभाग ने ऐसे दो मुस्लिम गुज्जरों को पकड़ा है, जिन्होंने हाल ही में बाघ का शिकार किया और उसकी खाल को वन्य जीव तस्कर अर्जुन सिंह “कव्वा” को बेचा। बाद में ये खाल धारचूला के चार लोगों ने खरीदी और ये सभी जेल जा चुके हैं।
डीएफओ तराई वन प्रभाग संदीप कुमार और उनकी टीम ने बाघ के शिकार करने के आरोप में मुस्लिम वन गुज्जर इमाम और शमशाद को गिरफ्तार किया है। इमाम हरिद्वार वन प्रभाग के पास चिड़ियापुर का रहने वाला है, जबकि शमशाद यूपी के बिजनौर का रहने वाला है। ये दोनों उत्तराखंड में छुपे हुए थे। उन पर बाघ का शिकार करने का आरोप है, जिसकी खाल 22 जुलाई को धारचूला के रहने वाले चार लोगों से एसटीएफ ने बरामद की थी। इन चारों ने “कव्वा” से खाल और करीब दस किलो हड्डियां खरीदे जाने की बात कही। इसके बाद “कव्वा” बाजपुर के पास से पकड़ा गया। जो बाघ की खाल बरामद की गई है उसकी लंबाई ग्यारह फिट है जोकि अभी तक सबसे बड़ी है।
डीएफओ के मुताबिक अभी दो लोग और भी निशाने पर हैं, जिनकी तलाश में छापेमारी की जा रही है। पिछले दिनों कॉर्बेट कालागढ़ टाइगर रिजर्व में एक बाघिन के शरीर में भी फंदा पड़ा मिला था, जिसको रेस्क्यू किया गया और इसका इलाज रामनगर में चल रहा है। ये वही बाघिन है जिसके तीन शावक हुए और वह उन्हें खा गई। ऐसी जानकारी में आया है कि ये खाल नेपाल के वन्यजीव तस्करों को बेची जाने वाली थी, जहां से चीन के बाजार में पहुंचाई जाती है और यहां इसकी मुंहमागी कीमत मिलती है।
मुस्लिम वन गुज्जर मांस मदिरा से दूर रहते थे, इसी वजह से इन्हे जंगल में रहने और पशुओं को हरा चारा खिलाने की इजाजत मिली हुई है। किंतु इनकी नई पीढ़ी के अब दुर्लभ वन्यजीवों के शिकार में लिप्त रहने के मामले सामने आने लगे हैं। कुछ साल पहले इसीलिए इन्हे जंगल से बाहर किया गया और इनके पुनर्वास की योजना भी सरकार ने दी थी।
दो साल पहले मुस्लिम गुज्जर गुलाम रसूल से दो बड़े हाथी दांत भी बरामद किए गए थे। बाघ की हत्या में जो गुरुवार को पकड़े गए है वो पहले भी बाघ की हत्या के आरोप में जेल जा चुके हैं। इनके घर से जमीन में गड़ी हुई बाघ की हड्डियां बरामद हुई थीं। जानकारी के मुताबिक इस गिरोह ने अभी तक चार बाघों के शिकार करने की बात कबूली है। चारों बाघ बिजनौर में मारे जाने की बात कही जा रही है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि ये बाघ कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ही हैं जोकि विचरते हुए यूपी के जंगल तक चले जाते हैं या फिर बाघों के शिकारी बिजनौर इलाके से ही कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में प्रवेश लेते हैं।