यह कदम उत्तराखंड सरकार द्वारा लिया गया एक महत्वपूर्ण और सराहनीय पहल है, जो न केवल ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत को सम्मानित करती है बल्कि वीर बल दिवस के प्रतीकात्मक महत्व को भी उजागर करती है।
प्रमुख बिंदु:
- साहिबज़ादों के नाम पर मार्गों का नामकरण:
- गोविंदघाट से घांघरिया मार्ग का नाम साहिबज़ादा जोरावर सिंह मार्ग रखा गया।
- बिदौरा छेवीं पातशाही गेट से धूमखेड़ा मार्ग को साहिबज़ादा फतेह सिंह रोड नाम दिया गया।
यह साहिबज़ादा जोरावर सिंह और साहिबज़ादा फतेह सिंह के बलिदान को श्रद्धांजलि देने का प्रतीक है।
- साहिबज़ादों की वीरता और बलिदान:
- साहिबज़ादा जोरावर सिंह और साहिबज़ादा फतेह सिंह ने धर्म और सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए।
- इतनी कम उम्र में असाधारण साहस और अडिग विश्वास का प्रदर्शन करते हुए, उन्होंने सिख धर्म के इतिहास में अमिट छाप छोड़ी।
- गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी का आभार:
- गुरुद्वारा श्री हेमकुंट साहिब प्रबंधन ट्रस्ट ने मुख्यमंत्री और राज्य सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह पहल आने वाले समय में लाखों श्रद्धालुओं को प्रेरणा देगी।
- मुख्यमंत्री का योगदान:
- उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने इस पहल के माध्यम से साहिबज़ादों के बलिदान को यादगार बनाने का प्रयास किया है।
- यह कदम न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के संदर्भ में भी बेहद प्रभावशाली है।
प्रतीकात्मक महत्व:
यह पहल साहिबज़ादों की बहादुरी, बलिदान, और धर्म के प्रति उनकी निष्ठा को अगली पीढ़ियों तक पहुंचाने का एक सशक्त प्रयास है। इससे उत्तराखंड में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को उनकी महान कहानी से प्रेरणा मिलेगी और समाज में धर्म, साहस, और बलिदान के मूल्यों को प्रोत्साहन मिलेगा।
इस सराहनीय कदम के लिए राज्य सरकार को साधुवाद!