यमुना घाटी के चकराता, टोंस, कनासर रेंज में हरे देवदार के पेड़ों को काटने के मामले में वन विभाग के मुखिया पीसीसीएफ अनूप मलिक ने सख्ती दिखाते हुए अब तक 26 विभागीय अधिकारियों, कर्मियों को निलंबित कर दिया है। मामले में जांच बैठा दी है। इस प्रकरण में सफेदपोश और मास्टरमाइंड के खिलाफ अभी कारवाई बाकी है। लकड़ी तस्करी के इस प्रकरण में सात हजार से अधिक स्लीपर बरामद किए जा चुके हैं। बताया जा रहा है कि वनकर्मियों की मिलीभगत से तस्करी का ये खेल पिछले कई महीनों से चल रहा था। चोरी से काटी गई देवदार केल की लकड़ियों को स्लीपर के रूप में सरकारी स्कूलों के कमरों में पानी की टंकियों में छुपा कर रखा गया था।
आपदा के दौरान पेड़ धराशाई होते हैं, जिन्हें काटने-उठाने की जिम्मेदारी वन विभाग द्वारा वन निगम को दी जाती है। वन निगम इसमें ठेकेदारों को ये काम देता है। इन्हीं ठेकेदारों ने निगम कर्मियों से मिलकर खड़े हुए हरे पेड़ भी काट डाले और उसे बाजारों में आरा मशीनों में खपा दिया या फिर छुपा दिया। इस मामले की जानकारी बीजेपी नेता राम शरण नौटियाल को जब हुई तो उन्होंने डीएफओ चकराता कल्याणी नेगी को जानकारी दी। कल्याणी नेगी ने जांच शुरू की तो हकीकत खुल गई। इसी दौरान पीसीसीएफ हॉफ अनूप मलिक ने यमुना वृत के कंजरवेटर डा विनय भार्गव को सम्पूर्ण प्रकरण की जांच सौंप दी। उनके द्वारा गढ़वाल के मुख्य वन संरक्षक नरेश कुमार को भी रिपोर्ट देने को कहा। सभी अधिकारियों से रिपोर्ट मिलने के बाद डीएफओ टोंस सुबोध काला सहित वन विभाग के 18 कर्मी निलंबित कर दिए गए। इसके अलावा वन निगम के 8 कर्मी भी निलंबित किए गए हैं। इन सभी के खिलाफ जांच बिठा दी गई है।
जानकारी के मुताबिक इतनी बड़ी संख्या में पहले कभी हरे पेड़ों की अवैध कटाई नहीं हुई। पूरे विभाग में इस प्रकरण पर हड़कंप मचा हुआ है। मामले में अभी वन विभाग के बाहर के आरोपी बचे हुए हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि सफेदपोश वन तस्करों का गिरोह वन प्रशासन के रडार पर है, जिसके खिलाफ पुख्ता साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। उधर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस सारे प्रकरण की रिपोर्ट मंगवा ली है और पीसीसीएफ अनूप मलिक को कड़ी कानूनी कारवाई किए जाने को कहा है। पीसीसीएफ (हाफ) अनूप मलिक ने कहा है कि किसी भी सूरत में दोषी छोड़े नहीं जाएंगे चाहे वे कितने ही असरदार क्यों न हों।