उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा राज्य में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code, UCC) लागू करने की घोषणा को एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य राज्य के सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करना और “देवभूमि” के मूल स्वरूप को संरक्षित करना है। आइए इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
समान नागरिक संहिता (UCC) क्या है?
UCC एक ऐसा कानून है जो सभी नागरिकों के लिए समान व्यक्तिगत कानून प्रदान करता है, चाहे उनका धर्म, जाति, या लिंग कुछ भी हो। इसमें विवाह, तलाक, संपत्ति के उत्तराधिकार, गोद लेने, और भरण-पोषण जैसे मामलों में समान नियम लागू होते हैं।
उत्तराखंड में UCC लागू करने की घोषणा का महत्व
- राजनीतिक पहल:
- धामी सरकार ने 2022 में ही UCC लागू करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया था।
- विशेषज्ञ समिति ने व्यापक अध्ययन और विचार-विमर्श के बाद सिफारिशें दीं, जिनके आधार पर यह निर्णय लिया गया।
- सामाजिक महत्व:
- यह कानून धार्मिक या सामाजिक विभाजन के बजाय समानता को बढ़ावा देने का प्रयास है।
- देवभूमि के सांस्कृतिक और पारंपरिक मूल्यों को संरक्षित रखने की दिशा में इसे एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
- राजनीतिक संदेश:
- UCC लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला बीजेपी-शासित राज्य बन गया है।
- इससे पार्टी का “समानता और समरसता” का एजेंडा आगे बढ़ेगा।
- समानता और समरसता:
- UCC का उद्देश्य राज्य के सभी नागरिकों को एक समान अधिकार देना और कानून के सामने सभी को समान बनाना है।
- यह समाज में एकता और भाईचारे को मजबूत करेगा।
मुख्यमंत्री धामी का बयान
मुख्यमंत्री धामी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा:
“हम समान नागरिक संहिता लागू करने जा रहे हैं, जो राज्य के नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करेगा। यह कानून न केवल समानता को बढ़ावा देगा, बल्कि देवभूमि के मूल रूप को बनाए रखने में भी मददगार साबित होगा।”
विपक्ष और विशेषज्ञों की राय
- विपक्ष:
- कुछ राजनीतिक दल इसे धर्मनिरपेक्षता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर खतरा बता सकते हैं।
- हालांकि, राज्य में इसका व्यापक समर्थन होने की संभावना है।
- विशेषज्ञ:
- कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम राज्य को कानूनी समानता की ओर ले जाने में सहायक होगा।
- लेकिन, इसे लागू करने में व्यावहारिक चुनौतियां हो सकती हैं, खासकर विविध सामाजिक समूहों के संदर्भ में।
भविष्य पर प्रभाव
- अन्य राज्यों पर दबाव:
- उत्तराखंड में UCC लागू होने के बाद, अन्य राज्यों पर भी इसे अपनाने का दबाव बढ़ सकता है।
- राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा:
- यह कदम समान नागरिक संहिता को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की बहस को और तेज कर सकता है।
- कानूनी और सामाजिक बदलाव:
- UCC लागू होने के बाद व्यक्तिगत कानूनों के तहत मौजूदा प्रथाओं में बदलाव होगा, जिससे समाज में समानता का नया आयाम स्थापित होगा।
उत्तराखंड में UCC लागू करना न केवल राज्य बल्कि पूरे देश के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। यह राज्य को एक नये युग की ओर ले जाने का संकेत देता है, जहां समानता और न्याय के आदर्शों को सर्वोपरि रखा जाएगा। मुख्यमंत्री धामी की यह पहल उत्तराखंड को एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत कर सकती है, जिसे अन्य राज्य भी अपनाने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
देवभूमि उत्तराखण्ड की देवतुल्य जनता के आशीर्वाद से हम प्रदेश में नागरिकों को समान अधिकार देने के लिए यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड लागू करने जा रहे हैं, यह क़ानून न केवल समानता को बढ़ावा देगा बल्कि देवभूमि के मूल स्वरूप को बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध होगा। pic.twitter.com/x9Hj8zBaR2
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) January 1, 2025
समान नागरिक संहिता का कानून
उत्तराखंड सरकार ने इस साल समान नागरिक संहिता के लिए कानून पास किया है. यह कानून राज्य के समाज में एकता और समानता को बढ़ावा देगा. विशेष रूप से हुलद्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में हुए साम्प्रदायिक हिंसा के बाद, उत्तराखंड ने सार्वजनिक और निजी संपत्ति की क्षति वसूली के लिए एक नया कानून भी लागू किया था. यह घटना 8 फरवरी को हुई थी, जब राज्य विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पास हुआ था.
भारत का पहला राज्य बनेगा उत्तराखंड
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की गठित एक विशेषज्ञ समिति, जिसका नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई कर रही थीं, उन्होंने फरवरी में UCC का विस्तृत मसौदा राज्य सरकार को सौंपा था. इसके बाद कुछ ही दिनों में उत्तराखंड सरकार ने विधानसभा में UCC विधेयक प्रस्तुत किया, जिसे 7 फरवरी को पास किया गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 11 मार्च को UCC कानून को मंजूरी दी, जिससे उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया जिसने इस कानून को लागू किया.
कई और राज्य भी जता चुके है इच्छा
उत्तराखंड सरकार ने UCC के कार्यान्वयन के लिए पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघन सिंह की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय समिति बनाई थी. इस समिति ने लागू करने के लिए आवश्यक नियमों की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी. कई भाजपा शासित राज्यों, जैसे असम, ने भी उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता को अपना आदर्श मानते हुए इसे लागू करने की इच्छा जताई है. मुख्यमंत्री धामी का कहना है कि राज्य में समान नागरिक संहिता लागू होने की संभावना जनवरी के पूरी तक हो सकती है.