उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को लागू करने की प्रक्रिया में राज्य सरकार ने एक ऐतिहासिक पहल की है, जिससे यह भारत का पहला राज्य बन गया है, जो यूसीसी को लागू करने की दिशा में ठोस कदम उठा रहा है। इस प्रक्रिया में कई चरणों में विचार-मंथन और रणनीतिक योजना तैयार की गई है।
यूसीसी लागू करने की दिशा में अब तक के कदम:
- रंजना देसाई समिति:
- पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में समिति बनाई गई।
- समिति ने विभिन्न हितधारकों से परामर्श कर एक व्यापक ड्राफ्ट तैयार किया।
- ड्राफ्ट में समाज के सभी वर्गों की राय और सुझाव शामिल किए गए।
- विधानसभा से मंजूरी:
- ड्राफ्ट के आधार पर तैयार यूसीसी बिल को उत्तराखंड विधानसभा में पेश किया गया और इसे मंजूरी मिली।
- इसके बाद राज्यपाल और राष्ट्रपति की स्वीकृति भी प्राप्त हो गई।
- प्रशासनिक और कानूनी तैयारी:
- यूसीसी के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए शत्रुघ्न सिंह (पूर्व मुख्य सचिव) की अध्यक्षता में एक नई समिति का गठन किया गया।
- समिति ने शासन और प्रशासन को यूसीसी लागू करने के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया है।
- यह रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी गई है।
- ट्रेनिंग और जागरूकता अभियान:
- न्यायिक अधिकारियों, प्रशासनिक कर्मचारियों और अन्य जिम्मेदार लोगों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- समाज में यूसीसी के लाभ और उद्देश्य को समझाने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा।
यूसीसी का महत्व और उद्देश्य:
- यूसीसी का मुख्य उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए एक समान निजी कानून सुनिश्चित करना है, जिससे लिंग समानता, न्याय और सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलेगा।
- विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने जैसे मामलों में भेदभाव समाप्त होगा।
- यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत एक समान नागरिक संहिता के प्रावधान को लागू करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
चुनौतियां और भविष्य की रणनीति:
- सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता को देखते हुए, इसे लागू करने में चुनौतियां होंगी।
- राज्य सरकार ने समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने और उनके हितों की रक्षा करने का आश्वासन दिया है।
- भविष्य में अन्य राज्यों और केंद्र सरकार के लिए यह एक मॉडल बन सकता है।
पुष्कर सिंह धामी सरकार की भूमिका:
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी को लागू करने की प्रक्रिया में दृढ़ नेतृत्व दिखाया है। उन्होंने इसे उत्तराखंड के सांस्कृतिक और सामाजिक ढांचे के अनुकूल बनाने के लिए सभी संबंधित पक्षों के साथ लगातार संवाद बनाए रखा।
यह पहल न केवल उत्तराखंड, बल्कि पूरे भारत में समान नागरिक संहिता के क्रियान्वयन की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।
सरकार ने पुनः इस समिति को प्रशिक्षण और जन जागरण संबंधी जिम्मेदारी दे दी है। यूसीसी के विषय में पुलिस कर्मियों,अधिवक्ताओं और सामाजिक क्षेत्र के अन्य लोगों को ट्रेनिंग दिए जाने के लिए अब तैयारी चल रही है। खबर है कि समिति एक व्यापक ट्रेनिंग कार्यक्रम का आयोजन जिलेवार करने जा रही है। इसके लिए विभिन्न स्तर पर कार्य योजना तैयार की गई है। यूसीसी के लिए एक ऐप भी बनाया गया है, जिसमें हर जानकारी, हर विषय का पंजीकरण, रिपोर्ट दर्ज करना आदि रहेगा। इसी ऐप को आधार मानकर ट्रेनिंग दिए जाने की योजना है।
धामी सरकार चूंकि इसी मुद्दे पर पिछला चुनाव लड़ी थी, इसलिए यूसीसी को वो शीघ्र लागू करना चाहती है, ये देश में पहली बार लागू हो रहा है इस लिए वो हर कदम सावधानी से आगे बढ़ा रही है, क्योंकि यूसीसी उत्तराखंड ही अन्य राज्यों के लिए उदाहरण या नजीर बनेगा। पहले धामी सरकार इसे 9 नवंबर को लागू करने का मन बना लिया था, किंतु शासन स्तर पर कुछ तैयारियों में कमी होने की वजह से इसके लागू करने के तिथि को आगे बढ़ाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर दिए अपने संदेश में यूसीसी का जिक्र करते हुए राज्यवासियों और धामी सरकार को इसके लिए बधाई भी दी थी। सूत्र बताते हैं कि अब पुष्कर धामी सरकार इसे राज्य पर्व उतरायणी यानी मकर संक्रांति के दिन लागू कर सकती है। इस के लिए शत्रुघ्न सिंह समिति और शासन प्रशासन के बीच चर्चाओं का दौर चल रहा है। उम्मीद की जा रही है कि दिसंबर माह में ट्रेनिंग का कार्य समाप्त कर लिया जाएगा।