राज्य चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर तुरंत पश्चिम बंगाल में केंद्रीय बल भेजने को कहा था. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 24 घंटे के भीतर जवाब दिया.आयोग के सूत्रों के मुताबिक, एक जवाबी पत्र में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कार्यालय ने चुनाव आयोग को बताया कि पंचायत चुनाव के लिए केंद्रीय बलों की 315 कंपनियां जल्द ही पश्चिम बंगाल भेजी जाएंगी.
हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पत्र में केंद्रीय सेना की शेष 485 कंपनियों के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया है.कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद राज्य चुनाव आयोग ने केंद्र को पत्र लिखकर पंचायत चुनाव की सुरक्षा के लिए कुल 822 कंपनी फोर्स की मांग की है.
उसमें से केंद्र 22 कंपनी बल पहले ही राज्य में भेज चुका है. इसके अलावा 315 कंपनी फोर्स और भेजी जायेगी. लेकिन राज्य की मांग के हिसाब से गणना करें तो भी केंद्र को केंद्रीय बलों की 485 कंपनियां भेजनी है.
राज्य चुनाव आयोग ने इस संबंध में केंद्र से अनुरोध किया है, लेकिन केंद्र ने अभी तक इस संबंध में कुछ नहीं कहा है. जिसके चलते राजनीतिक खेमे में अटकलें शुरू हो गई हैं, लेकिन क्या हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन के लिए पंचायत चुनाव की तारीख आगे बढ़ानी चाहिए?
राज्य चुनाव आयोग ने 8 जुलाई को राज्य में एक ही दौर के पंचायत चुनाव की घोषणा की है. चुनाव नामांकन पर अशांति के आरोपों के बीच, कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की एक खंडपीठ ने राज्य में पंचायत चुनाव केंद्रीय बलों के साथ कराने का आदेश दिया.
2013 के तर्ज पर चुनाव कराने की मांग
पहले केंद्रीय बलों की संख्या निर्दिष्ट नहीं की गई थी, लेकिन 17 जून को उच्च न्यायालय ने स्पष्ट आदेश दिया कि 2013 के पंचायत चुनावों में तैनात बलों की संख्या समान या अधिक होनी चाहिए.
साल 2013 में राज्य में पांच चरणों में मतदान हुआ था. विपक्ष ने अदालत को बताया कि चुनाव के दौरान 82,000 केंद्रीय बल तैनात किये गये थे. हाईकोर्ट के आदेश के बाद आयोग ने केंद्रीय बलों के लिए 822 कंपनियां भी केंद्र को भेजीं. लेकिन केंद्र ने पलटवार करते हुए कहा कि अब तक सिर्फ 337 कंपनियों को ही मंजूरी दी गई है.