भारत में आगामी लोकसभा चुनावों से पहले तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के एक नेता के बयान ने विवाद पैदा कर दिया है। टीएमसी नेता रत्ना बिस्वास ने पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले की मतदाता सूची में बांग्लादेशियों को शामिल करने की बात कही है। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
वीडियो में टीएमसी नेता एवं पूर्व पंचायत प्रधान रत्ना कह रही हैं, “इस क्षेत्र में कई बांग्लादेशी रहते हैं। जो लोग बांग्लादेश से यहाँ आए हैं और उन्हें मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने में दिक्कत आती है तो उन्हें जाकिर भाई से संपर्क करना चाहिए। ऐसे सभी लोगों को इस कार्यालय से संपर्क करना चाहिए… यह काम तेजी से किया जाना चाहिए।”
यह वीडियो वायरल होने के बाद विवाद हो गया है। विवाद के बाद स्थानीय पंचायत समिति के पूर्व अध्यक्ष जाकिर हुसैन ने दावा किया, “रत्ना बिस्वास का यह मतलब नहीं था। मेरे क्षेत्र में रहने वाले अधिकांश लोग 1960-65 से पहले यहाँ आए थे। 1990 के बाद कई लोगों को मतदाता सूची से हटा दिया गया है। इनके नाम पहले मतदाता सूची में थे।”
जाकिर हुसैन ने आगे कहा, “दरअसल उन्होंने (रत्ना बिस्वास ने) इन्हीं लोगों की मदद करने की बात कही है। हम निश्चित रूप से आम लोगों को मतदाता सूची में सुधार सहित सेवाएँ निःशुल्क प्रदान करते हैं और यह सब कानून के अनुसार किया जाता है। उन्होंने गलत तरीके से उन सभी को बांग्लादेशी बताया है।”
मतदाता सूची में बांग्लादेशियों के नाम जोड़ने की कोशिश पर भाजपा ने तृणमूल कॉन्ग्रेस पर हमला बोला है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा, “सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कॉन्ग्रेस पहले से ही ऐसे मतदाता पहचान पत्र बनाने का काम कर रही है। घुसपैठियों के नाम मतदाता सूची में जोड़े जाते हैं।” उन्होंने इस मामले की जाँच की माँग की है।
बता दें कि पिछले साल मई में पता चला कि बनगाँव दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से तृणमूल कॉन्ग्रेस की सांसद अलो रानी सरकार बांग्लादेश की नागरिक हैं। यह खुलासे तब हुए जब उन्होंने चुनाव परिणाम और उक्त निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा नेता स्वपन मजूमदार की जीत को कलकत्ता उच्च न्यायालय में चुनौती दी। याचिका पर न्यायमूर्ति बिबेक चौधरी ने सुनवाई की।
इस पर कोर्ट ने कहा था कि नामांकन दाखिल करने की तारीख, चुनाव की तारीख और परिणाम की घोषणा की तारीख पर अलो रानी सरकार बांग्लादेश की नागरिक थीं। कोर्ट ने आगे कहा, “याचिकाकर्ता के स्वयं के दस्तावेज़ को देखने से पता चलता है कि याचिकाकर्ता को 2021 का विधानसभा चुनाव लड़ने का कोई अधिकार नहीं था।”
मामले की सुनवाई करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा था, “चूँकि वह भारत की नागरिक नहीं हैं, इसलिए वह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 के साथ पढ़े गए संविधान के अनुच्छेद 173 के संदर्भ में किसी राज्य की विधायिका में चुने जाने के योग्य नहीं होगी।” लो रानी ने दावा किया था कि बांग्लादेश में उनके पति के पैतृक स्थान के वोटर लिस्ट में गलत तरीके से उनका नाम शामिल हो गया था।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा था कि टीएमसी नेता अलो रानी सरकार की शादी 1980 के दशक में बांग्लादेश के नागरिक हरेंद्र नाथ सरकार से हुई थी, जिसके बाद वो कुछ वक्त के लिए बांग्लादेश गई थीं। हालाँकि, जब पति से नहीं बनी तो वो फिर से भारत चली आईं। अपने हलफनामे में अलो रानी ने 5 नवंबर 2020 को वोटर लिस्ट और बांग्लादेश के राष्ट्रीय पहचान पत्र (एनआईसी) से अपना नाम कैंसिल कराने के लिए अप्लाई किया था। 29 जून 2021 को वरिष्ठ जिला चुनाव अधिकारी (बरिसाल) ने बांग्लादेश की वोटर लिस्ट से उनका नाम हटाने की सिफारिश की थी।
उल्लेखनीय है कि आलो रानी सरकार ने 31 मार्च 2021 को बनगाँव दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से अपना नामांकन दाखिल किया था। इसके लिए मतदान 22 अप्रैल 2021 को हुआ था और 2 मई को इसके रिजल्ट आए। चुनाव के दौरान टीएमसी की नेता बांग्लादेशी नागरिक थीं। भारत में दोहरी नागरिकता वाले लोग चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।