पश्चिम बंगाल में पटाखा फैक्ट्रियों में विस्फोट की घटनाएं लगातार चिंता का विषय बनी हुई हैं। नादिया जिले के कल्याणी में हुए इस ताजा हादसे ने एक बार फिर अवैध पटाखा उद्योग पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विस्फोट में चार लोगों की मौत और कई के घायल होने की खबर से स्पष्ट है कि इन फैक्ट्रियों की सुरक्षा मानकों की पूरी तरह अनदेखी हो रही है।
मुख्य चिंताएं और प्रशासन की भूमिका
- घनी आबादी में पटाखा फैक्ट्रियां – स्थानीय लोगों और नेताओं का कहना है कि इस तरह की फैक्ट्रियां गैर-कानूनी रूप से चल रही हैं। पहले भी घनी आबादी वाले इलाकों में ऐसे विस्फोट हो चुके हैं, जिससे आसपास के लोग भी खतरे में पड़ जाते हैं।
- पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता – स्थानीय विधायक अंबिका रॉय का आरोप है कि पुलिस को इस फैक्ट्री के बारे में पहले से जानकारी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह सवाल उठता है कि क्या प्रशासन इन फैक्ट्रियों को जानबूझकर नजरअंदाज कर रहा है?
- बार-बार होने वाले हादसे – 2023 में राज्य में कई पटाखा फैक्ट्रियों में विस्फोट हुए, जिनमें खादिकुल की घटना सबसे बड़ी थी, जिसमें 12 लोगों की मौत हुई थी। यह दर्शाता है कि इन फैक्ट्रियों को लेकर कोई ठोस नीति नहीं अपनाई गई है।
समाधान क्या हो सकता है?
- अवैध पटाखा फैक्ट्रियों पर सख्त कार्रवाई – पुलिस और प्रशासन को ऐसे उद्योगों पर कठोर नियंत्रण रखना चाहिए और अवैध रूप से चल रही फैक्ट्रियों को तत्काल बंद करना चाहिए।
- सुरक्षा मानकों को लागू करना – अगर किसी भी फैक्ट्री को लाइसेंस दिया गया है, तो वहां सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए।
- स्थानीय जनता की भागीदारी – स्थानीय लोग अगर ऐसी गतिविधियों की जानकारी रखते हैं तो उन्हें तुरंत पुलिस और प्रशासन को सूचित करना चाहिए।
- राज्य सरकार की जवाबदेही – लगातार हो रही घटनाओं के बावजूद, राज्य सरकार की ओर से कोई ठोस नीति लागू नहीं की गई। इस पर मुख्यमंत्री और संबंधित विभागों को जवाब देना चाहिए।
कल्याणी की इस घटना ने पश्चिम बंगाल में पटाखा फैक्ट्रियों को लेकर प्रशासन की नाकामी को उजागर किया है। जब तक इन अवैध फैक्ट्रियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी और बेगुनाह लोग अपनी जान गंवाते रहेंगे।