पश्चिम बंगाल स्थित कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा है कि धार्मिक त्योहारों का आयोजन करना ‘जीवन के अधिकार’ के विस्तृत छत्र तले आता है। आसनसोल के एक प्लॉट में गणेश चतुर्थी के आयोजन को लेकर श्रद्धालु हाईकोर्ट पहुँचे थे। इस मैदान में दुर्गा पूजा भी हो चुका है, साथ ही सरकारी आयोजनों के लिए भी इस मैदान का इस्तेमाल किया जा चुका है। ये मामला ‘आसनसोल-दुर्गापुर डेवलपमेंट अथॉरिटी (ADDA)’ से जुड़ा हुआ है।
ADDA ने श्रद्धालुओं से कहा था कि गणेश चतुर्थी का आयोजन इस जमीन पर नहीं किया जा सकता। उनका कहना था कि इस जमीन का स्वामित्व उनके पास है और इस पर गणेश चतुर्थी के त्योहार का आयोजन नहीं किया जा सकता। इसके बाद आयोजकों ने न्यायपालिका का रुख किया। साथ ही माँग की कि उन्हें गणेश पूजा के लिए इस जमीन का इस्तेमाल करने की अनुमति मिले। जहाँ ADDA ने इसका विरोध किया वहीं पश्चिम बंगाल की सरकार ने कहा कि वो इस माँग पर विचार कर सकती है।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार (8 सितंबर, 2023) को कहा कि ‘आसनसोल-दुर्गापुर डेवलपमेंट अथॉरिटी (ADDA)’ का ये निर्णय स्पष्ट रूप से हास्यास्पद है। साथ ही इसे संविधान के अनुच्छेद-14 के खिलाफ भी करार दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर इस मैदान पर दुर्गा पूजा के आयोजन की अनुमति दी जा सकती है, जो कि हिन्दुओं का ही त्योहार है, इसका अर्थ ये नहीं है कि दूसरे धर्मों के त्योहारों या फिर अन्य देवी-देवताओं के पूजा-पाठ की अनुमति यहाँ नहीं दी जा सकती है।
वहीं ADDA ने कहा कि अनुच्छेद-25 के तहत सभी को अपने धर्मों की प्रैक्टिस करने का अधिकार देता है, लेकिन ये किसी को संपत्ति का अधिकार नहीं देता, जब तक कि वो संपत्ति उनके धर्म से जुड़ी हुई ना हो। साथ ही संस्था ने ये दलील भी दी कि पश्चिम बंगाल में गणेश पूजा का उतना चलन नहीं है और ये दुर्गा पूजा की तरह सेक्युलर और बहुसांस्कृतिक व्यवहार वाला नहीं है। वहीं कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि जीवन के अधिकार के तहत किसी भी व्यक्ति को उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
Calcutta High Court allows Ganesh Chaturthi celebrations on ground ‘earmarked for Durga Puja.’
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— Live Law (@LiveLawIndia) September 9, 2023
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर कानूनी प्रक्रिया के खिलाफ कोई जाता है, तभी उस पर पाबंदियाँ लगाई जा सकती हैं। साथ ही हाईकोर्ट ने साफ़ किया कि ये मूलभूत अधिकार सभी नागरिकों के लिए है, विदेशियों के लिए भी। अनुच्छेद-21 के तहत जीवन और पर्सनल लिबर्टी का अधिकार मिलता है। जज सब्यसाची भट्टाचार्जी ने ये फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा, “पुरुष देवताओं के साथ भेदभाव क्यों? इसमें भगवान गणेश की क्या गलती है?” साथ ही हाईकोर्ट ने दुर्गा पूजा की तुलना सरकारी आयोजनों से करने पर भी फटकार लगाई।