बंगाली रंगमंच के प्रतिष्ठित अभिनेता और सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों को अपने नाटकों के माध्यम से उठाने वाले मनोज मित्रा का मंगलवार को 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने पश्चिम बंगाल के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। परिजनों के अनुसार, वृद्धावस्था से जुड़ी कई बीमारियों के कारण उनका निधन हुआ।
डॉक्टरों के अनुसार, मित्रा की स्थिति बिगड़ती जा रही थी, जिसके चलते उन्हें 3 नवंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तमाम प्रयासों के बावजूद उनकी तबियत में सुधार नहीं हुआ, और मंगलवार सुबह 8.50 बजे उनका निधन हो गया। मित्रा की विदाई बंगाली रंगमंच के लिए एक बड़ी क्षति है, क्योंकि उन्होंने अपने नाटकों के माध्यम से समाज के ज्वलंत मुद्दों को प्रमुखता से उठाया और कला को एक सशक्त माध्यम के रूप में स्थापित किया।
बंगाली रंगमंच और सिनेमा के दिग्गज अभिनेता और नाटककार मनोज मित्रा का मंगलवार को 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। मित्रा को पहले भी सितंबर में स्वास्थ्य समस्याओं के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसमें सांस की तकलीफ और शरीर में सोडियम-पोटेशियम असंतुलन जैसी समस्याएँ शामिल थीं। सितंबर के अंत में उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई थी, लेकिन हाल ही में उनकी हालत बिगड़ने पर दोबारा अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उन्होंने अंतिम सांस ली।
मनोज मित्रा अपने अद्वितीय अभिनय के लिए जाने जाते थे। तपन सिन्हा की फ़िल्म बंछारामर बागान, जो उनके नाटक सजानो बागान पर आधारित थी, में उन्होंने बंछाराम की यादगार भूमिका निभाई। उन्होंने सत्यजीत रे की घरे बाइरे और गणशत्रु में भी काम किया और बुद्धदेव दासगुप्ता, बासु चटर्जी, तरुण मजूमदार, शक्ति सामंत और गौतम घोष जैसे दिग्गज निर्देशकों की फ़िल्मों में भी अपने अभिनय का लोहा मनवाया।
उनके निधन पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गहरा शोक जताया और कहा कि मित्रा रंगमंच और फिल्म जगत के एक अग्रणी व्यक्तित्व थे और उनका योगदान अतुलनीय है। उनका जाना बंगाली कला जगत के लिए एक बड़ी क्षति है।
इन अवॉर्ड से किए गए सम्मानित
उनका सबसे लोकप्रिय प्रोजेक्ट तपन सिन्हा का बंचरामर बागान है, जो उनके ही नाटक सजानो बागान से लिया गया था। इतना ही नहीं, उन्होंने महान निर्देशक सत्यजीत रे की फिल्म घरे बाइरे और गणशत्रु में भी अभिनय किया था। उन्होंने बंगाली फिल्मों में कई कॉमेडी और प्रतिपक्षी भूमिकाएं निभाई हैं। इन वर्षों में, उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें 1985 में सर्वश्रेष्ठ नाटककार के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1980 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड ईस्ट, 2012 में दीनबंधु पुरस्कार शामिल हैं।
इन फिल्मों में किया काम
मनोज मित्रा की चर्चित फिल्मों की बात करें तो उन्होंने ‘दत्तक’, ‘दामु’, ‘व्हील चेयर’, ‘मेज दीदी’, ‘ऋण मुक्ति’, ‘तीन मूर्ति’, ‘प्रेम बाय चांस’, ‘भालोबासेर नेक नाम’, ‘उमा’ और ‘सडन रेन’ शामिल हैं। उन्होंने अपने करियर में बुद्धदेब दासगुप्ता, तरुण मजूमदार, बसु चटर्जी और गौतम घोष जैसे चर्चित और प्रशंसित निर्देशकों के साथ काम किया।