सोचिए कि एक महिला के साथ क्रूरतापूर्वक बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई, लेकिन लोगों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार राज्य सरकार पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए ‘विरोध प्रदर्शन’ पर उतर आती है। सुनने में ये बिल्कुल अजीब लग रहा है न? लेकिन पश्चिम बंगाल में यही हो रहा है, जहाँ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 32 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ क्रूर बलात्कार और हत्या के अपराधियों को सजा देने की माँग करते हुए विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। इस मामले में एक पुलिस सहायक स्वयंसेवी संजय रॉय को गिरफ्तार किया गया है, जिसके कथित तौर पर अपना अपराध कबूल कर लिया है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की कि 17 अगस्त को उनकी पार्टी अपराधी को सजा दिलाने की माँग को लेकर सभी प्रखंडों में विरोध मार्च निकालेगी। फिर 18 अगस्त को सभी प्रखंडों में प्रदर्शन होगा और 19 अगस्त को दोषियों को फाँसी की सजा दिलाने की माँग को लेकर कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
"They are beating us continuously. They will beat us. We came here for the protests."
LOOK AT THIS YOUNG WOMAN CRYING HELPLESSLY SAYING THAT THE MOB IS BEATING UP PEOPLE. THIS IS AN UTTER SHAME FOR THE TMC GOVERNMENT.#MamataMustResign https://t.co/gZ2yG82Ek3 pic.twitter.com/5wCqrOVm3P
— Sensei Kraken Zero (@YearOfTheKraken) August 14, 2024
ममता बनर्जी ने सीबीआई को दी ‘समय सीमा’
ममता बनर्जी चाहती हैं कि अपराधी को फाँसी की सज़ा दी जाए और उन्होंने ‘माँग’ की है कि सीबीआई रविवार (18 अगस्त) तक यह काम पूरा कर ले। पीड़ित को न्याय दिलाने की ज़िम्मेदारी केंद्रीय जाँच एजेंसी पर डालने का ये एक मौजूदा मुख्यमंत्री का ख़तरनाक दुस्साहस है, जो ये स्पष्ट करता है कि तृणमूल कॉन्ग्रेस (टीएमसी) केंद्र पर दोष मढ़ने और अपनी ज़िम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने की बेताबी से कोशिश कर रही है। टीएमसी का राजनीतिक खेल इतनी बेशर्मी भरा है कि एक तरफ़ राज्य सरकार सीबीआई को ‘समय सीमा’ दे रही है और दूसरी तरफ़ हास्यास्पद समय सीमा समाप्त होने से ठीक एक दिन पहले बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की घोषणा कर रही है।
पुलिस के सामने ट्रकों में भर कर आए गुंडों ने की तोड़फोड़
इस बीच, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों पर गुंडों द्वारा हमला किया जा रहा है, जिन्होंने 14 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल परिसर में भी तोड़फोड़ की। 50 से अधिक लोगों की भीड़ ने अस्पताल में घुसकर डॉक्टरों पर हमला किया और यहाँ तक कि उस इमारत में घुसने की कोशिश की, जहाँ जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। इस दौरान पुलिस मूकदर्शक बनी रही। यह भी आरोप है कि सत्तारूढ़ टीएमसी सरकार ने हमलों की साजिश रची।
Violence breaks out outside RG Kar hospital in Kolkata, crowds storm the emergency ward, reports @Journo_Rajesh on @IndiaToday: pic.twitter.com/9FtHYMJc8R
— Shiv Aroor (@ShivAroor) August 14, 2024
ऐसा लगता है कि न्याय के लिए ‘समय सीमा’ राज्य सरकार ने बहुत सोच-विचार के बाद तय की है क्योंकि घटनाक्रम से पता चलता है कि जब तक सीबीआई मामले की जाँच करेगी, तब तक अधिकांश सबूत नष्ट हो चुके होंगे और प्रदर्शनकारियों को चुप करा दिया जाएगा। माहौल बनाने के लिए सीएम बनर्जी अपनी खुद की अक्षमता का दोष केंद्र पर डाल देंगी और कहेंगी कि सीबीआई मृतक पीड़िता को न्याय दिलाने में विफल रही।
ममता बनर्जी चाहती हैं कि सीबीआई रविवार तक अपराधी को फाँसी पर लटका दे, लेकिन उनकी सरकार पर इस मामले में शामिल लोगों को बचाने का आरोप है। 9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में एक पीजी ट्रेनी डॉक्टर का अर्धनग्न शव मिलने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने उसके परिवार को सूचित किया कि उसने आत्महत्या कर ली है।
सीबीआई का काम जाँच करना, सजा देने का काम अदालत का
दरअसल, कलकत्ता हाई कोर्ट आरजी कर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष को बचाने के लिए राज्य सरकार को फटकार लगाई और कहा कि इसे आत्महत्या बताकर इस जघन्य अपराध को छिपाने की कोशिश की जा रही है। यह ध्यान देने योग्य है कि घोष ने विरोध प्रदर्शनों के बीच इस्तीफा दे दिया और उसी दिन उन्हें राज्य सरकार के कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (सीएनएमसीएच) का प्रिंसिपल नियुक्त कर दिया गया। तथ्य यह है कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल बलात्कार और हत्या मामले को सीबीआई को सौंप दिया, जब पीड़िता के माता-पिता ने चिंता जताई कि कोलकाता पुलिस सही से जाँच नहीं कर रही। ये बात साफ है कि स्थानीय पुलिस निष्पक्षता से काम नहीं कर रही।
मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने किस तरह से चेस्ट मेडिसिन डिपार्टमेंट की दीवारों को ढहा दिया, जहाँ लड़की के साथ बलात्कार हुआ और उसकी हत्या कर दी गई। भाजपा ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार दीवारों को तोड़कर मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रही है। इन घटनाओं के मद्देनजर, ममता बनर्जी ने सीबीआई पर ‘बोझ’ डालकर न्याय सुनिश्चित करने में अपनी विफलता के लिए अपनी सरकार और राज्य पुलिस को आलोचना से बचाने का चतुराई से प्रयास किया।