उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कोलकाता के साइंस सिटी में आयोजित गौड़ीय मिशन के संस्थापक आचार्य श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती गोस्वामी प्रभुपाद की 150वीं जयंती समारोह के समापन कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर उन्होंने भारत की आध्यात्मिक चेतना को उसकी दीर्घकालिक सभ्यता का मूल कारण बताया और कहा कि यह चेतना सदियों से अटूट बनी हुई है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि गौड़ीय मिशन ने सनातन धर्म को विश्व में प्रेम, शांति और सौहार्द का मार्ग बनाने का कार्य किया है। उन्होंने प्रभुपाद को भारतीय आध्यात्मिक चिंतन को पश्चिमी देशों में लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाने वाला व्यक्तित्व बताया। धनखड़ ने कहा कि प्रभुपाद ने सुभाषचंद्र बोस, मदन मोहन मालवीय जैसे महान भारतीय नेताओं को भी प्रेरित किया था। उन्होंने समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव सहित कई सामाजिक बुराइयों के खिलाफ संघर्ष किया। उपराष्ट्रपति ने इस बात पर भी जोर दिया कि आचार्य श्रील ने आध्यात्मिक साहित्य के प्रचार के लिए प्रिंटिंग प्रेस का उपयोग किया, जिससे भारतीय दर्शन को कई भाषाओं में प्रकाशित कर विश्वभर में उपलब्ध कराया।
Hon'ble Vice-President, Shri Jagdeep Dhankhar addressed the gathering at the closing ceremony of the 150th Advent Commemoration of Gaudiya Mission's founder, Acharya Srila Bhakti Siddhanta Saraswati Goswami Prabhupad Ji at Science City in Kolkata, West Bengal today.… pic.twitter.com/ccQPomJRhb
— Vice-President of India (@VPIndia) February 28, 2025
उपराष्ट्रति ने कहा : सनातन का अर्थ है समावेशिता, सार्वभौमिक मूल्य, देशभक्ति. इसका अभिप्राय जाति, पंथ और आर्थिक विभाजन से ऊपर उठना भी है. उन्होंने भारत की धरोहर का उल्लेख करते हुए कहा कि विश्व में (भारत को छोड़ कर) किसी भी देश की संस्कृति 5,000 वर्ष पुरानी नहीं है. भारत विश्व का आध्यात्मिक केंद्र रहा है और हमें इस गति को बनाये रखना होगा.
यह श्यामाप्रसाद मुखर्जी की भूमि है, जिन्होंने राष्ट्रवाद से कभी समझौता नहीं किया। कितना बड़ा बलिदान दिया !
आज हम सुखद कालखंड में हैं, कि जो चिंता श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने की थी, जो उनकी सोच थी, राष्ट्रवाद के प्रति कटिबद्धता थी, और जो नासूर उनको नजर आ रहा था, आज वह नासूर हमारे… pic.twitter.com/V4vstb5epL
— Vice-President of India (@VPIndia) February 28, 2025
भारत फिर से है विकास और प्रगति के पथ पर : उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 1,000-1,200 साल पहले नालंदा और तक्षशिला जैसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों पर हुए हमलों को लेकर भी अफसोस जताया. उन्होंने कहा : हमने अकल्पनीय बर्बरता देखी, फिर भी हम उठ खड़े हुए. अब, भारत फिर से विकास और प्रगति के पथ पर है, जो आध्यात्मिक विकास के बिना संभव नहीं है. श्री धनखड़ ने यह भी कहा कि विश्व, भारत की आध्यात्मिकता और सभ्यता को श्री रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, श्री चैतन्य और श्रील प्रभुपाद जैसी महान हस्तियों के कारण जानता है.
दुनिया के सामने भयावह चुनौतियां हैं, लेकिन आज के दिन सबसे ज्यादा जो संकट है वो मानव के मन में है।
मानव अशांत है। साधन, सम्पन्नता, शक्ति के बावजूद कमी है शांति की।
दुनिया में जब लोगों को यह कमी महसूस होती है, तो उनको एक ही North-Star दिखाई देता है – भारत@BengalGovernor… pic.twitter.com/mtqT36cwxO
— Vice-President of India (@VPIndia) February 28, 2025
पश्चिम बंगाल खुदीराम, चितरंजन दास व एसपी मुखर्जी की जन्मभूमि
उन्होंने कहा कि बंगाल खुदीराम बोस और चितरंजन दास की जन्मभूमि है. यह श्यामा प्रसाद मुखर्जी की भी जन्मभूमि है, जिनका मार्गदर्शन राज्य और देश दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा है. कार्यक्रम में राज्यपाल डॉ सीवी आनंद बोस भी मौजूद रहे.