पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के RG कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में ट्रेनी महिला डॉक्टर की रेप के बाद बर्बर हत्या को लेकर आक्रोश कम होने का नाम नहीं ले रहा है। बंगाल सरकार के खिलाफ़ वहाँ के जूनियर डॉक्टर अभी भी प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच ममता बनर्जी की सरकार ने ईमेल भेजकर इन डॉक्टरों को चर्चा के लिए बुलाया है। हालाँकि, डॉक्टरों ने इनकार कर दिया।
प्रदर्शनकारी डॉक्टर मंगलवार (10 सितंबर 2024) को स्वास्थ्य सचिवालय तक मार्च निकाला। इस दौरान उन्होंने कई वरिष्ठ अधिकारियों और शहर के पुलिस प्रमुख के तत्काल इस्तीफ़े की माँग करते हुए वहाँ डेरा डाल दिया है। पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट को भेजे गए ईमेल में सरकार ने डॉक्टरों से चर्चा के लिए आने और महीने भर से चल रहे गतिरोध को समाप्त करने के लिए कहा है।
हालाँकि, डॉक्टरों ने यह कहते हुए सरकार से चर्चा करने से इनकार कर दिया कि यह ईमेल स्वास्थ्य सचिव की ओर से आया है। उनका तर्क है कि स्वास्थ्य सचिव उन अधिकारियों में से एक हैं, जो प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से इस्तीफा माँग रहे थे। डॉक्टरों ने कहा, “यह ईमेल स्वास्थ्य सचिव की ओर से आया है और यह हमारे लिए अपमानजनक है।”
#WATCH | West Bengal | Kolkata's RG Kar Rape and murder incident | Victim’s father breaks down, says, "…We are not satisfied with the role of the CM (Mamata Banerjee) in the case…She did not do any work…The incident which occurred with my daughter, we have been saying this… pic.twitter.com/u65SQrE2Ma
— ANI (@ANI) September 11, 2024
उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि एक छोटे प्रतिनिधिमंडल को बुलाना अपमानजनक है। हम स्वस्थ भवन के पास हैं। हमें ईमेल भेजने की क्या जरूरत थी? वह हमसे मिलने आ सकते थे… हमारी पाँच माँगें हैं और हम चाहते हैं कि ये माँगें पूरी की जाएँ।” इससे पहले आज जब डॉक्टर स्वास्थ्य सचिवालय पहुँचे थे, तो उन्हें वार्ता के लिए बुलाया गया था। हालाँकि, उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया था कि उनकी माँगें तुरंत पूरी की जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को मानने से इनकार करते हुए डॉक्टरों ने 10 सितंबर को स्वास्थ्य भवन तक मार्च निकाला और प्रदर्शन किया। इस दौरान मृतक ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता भी पहुँचे थे। पीड़िता की माँ ने कहा, “मेरे हजारों बच्चे सड़कों पर हैं। इसलिए मैं घर पर नहीं रह सकती थी। मुख्यमंत्री ने त्योहार में शामिल होने के लिए कहा था। अब यही मेरा त्योहार है।”
प्रदर्शन में शामिल मृतक डॉक्टर के पिता ने कहा, “हम इस मामले में सीएम (ममता बनर्जी) की भूमिका से संतुष्ट नहीं हैं… उन्होंने कोई काम नहीं किया…मेरी बेटी के साथ जो घटना हुई, हम शुरू से ही यह कह रहे हैं कि इसमें विभाग का एक व्यक्ति शामिल है… हमें लगता है कि इस साल कोई भी दुर्गा पूजा नहीं मनाएगा… अगर कोई मनाएगा भी तो खुशी से नहीं मनाएगा…क्योंकि बंगाल और देश के सभी लोग मेरी बेटी को अपनी बेटी मानते हैं।”
सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों से मंगलवार (10 सितंबर 2024) की शाम 5 बजे तक काम पर लौटने के आदेश दिए हैं। इसके जवाब में डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया था और सरकार को शाम 5 बजे तक अपनी माँगें पूरी करने के लिए समय सीमा दी थी और फिर स्वास्थ्य सचिवालय की ओर मार्च किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर डॉक्टर तय समय पर काम पर नहीं लौटे तो वह राज्य को कार्रवाई की मंजूरी दे देगा।
डॉक्टरों की पाँच माँगों में शहर के पुलिस प्रमुख विनीत गोयल, राज्य के स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक और स्वास्थ्य सेवा निदेशक सहित कई लोगों का इस्तीफा शामिल है। शाम 5 बजे के बाद उन्होंने सचिवालय के बाहर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। ममता बनर्जी की सरकार ने कहा कि पिछले महीने समय पर इलाज न मिलने के कारण 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।