इस बीच इजरायल ने गाजा पट्टी पर जबरदस्त हमला बोला है। इजरायल ने गाजा बॉर्डर पर तीन लाख से ज्यादा सैनिकों को तैनात कर दिया है। ऐसे में इजरायली लड़ाका समूह लेही से जुड़े 95 वर्षीय पूर्व सैनिक ने अपने सैनिकों का हौसला बढ़ाने के लिए हथियार उठा लिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक इजरायली लड़ाका समूह लेही के 95 वर्षीय पूर्व सैनिक एज्रा याचिन भी लेकर जंग के मैदान में कूद पड़े हैं। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीर वायरल है, जिसमें वह अपनी वर्दी पहने हुए और हथियार उठाए नजर आ रहे हैं। वह ऐसा करने वाले देश के सबसे उम्रदराज व्यक्ति बन गए हैं।
एज्रा याचिन को इजरायली सुरक्षा बलों (IDF) को अरबों की क्रूर दास्तां सुनाकर जंग के मैदान में उनमें जोश भरने और प्रेरित करने के लिए बुलाया गया है। बुजुर्ग इजरायली सैनिकों को यह भी बता रहे हैं कि वह अपने बचपन के दौरान यरूशलेम में अरब नरसंहार से कैसे बचे थे।
याचिन ने इजराइली रक्षा बलों के साथ दिए गए एक इंटरव्यू में कहा था कि जब यहूदियों को फिलिस्तीन में जमीन देने के लिए 29 नवंबर, 1947 को संयुक्त राष्ट्र में मतदान किया गया था, इसके एक दिन बाद ही अरबों ने पूरे देश में कोहराम मचा दिया था।
高齡95歲的Ezra Yachin老先生,加入以色列部隊要幫助國家對抗哈馬斯,是目前最高齡的受徵召軍人。雖然以色列不太可能讓老先生上前線,但是老先生入營、在軍中講述他年輕時的作戰經歷,帶給以色列部隊更高的士氣與衛國決心。 pic.twitter.com/zbG1Urql8V
— 世界的十字路口 唐浩 (@World_Crossroad) October 11, 2023
याचिन ने बताया कि तब आजादी की लड़ाई यहूदियों ने शुरू की थी और बहुत मुश्किल स्थिति का सामना किया था। उन्होंने बताया कि उस समय ब्रिटिश यहूदियों को इजराइल आने से रोक रहे थे।
याचिन ने कहा कि वो दौर बेहद बुरा दौर था। अरबी लोग हमारे लोगों की हत्या कर रहे थे और ब्रिटिश उन्हें रोक नहीं रहे थे। ब्रिटिश चाहते थे कि हम यहां न रहें। अरबी हमारा नरसंहार करते रहे और पूरी दुनिया देखती रही। याचिन ने कहा कि यूएन में मतदान के बाद तो स्थिति और बदतर हो गई। अरबों ने कई परिवारों को मार डाला। जहां उन्हें यहूदी दिखे वहां उनकी हत्या कर दी। याचिन ने कहा कि यहूदियों का खून पानी की तरह बहाया गया, और अंग्रेजों ने उनकी मदद की।
याचिन ने कहा कि इजराइल में अंग्रेज और अरब मिलकर वो काम कर रहे थे जो हिटलर पूरा नहीं कर पाया था। उनका लक्ष्य एक था- यहूदियों को इतिहास के कत्लखाने तक ले जाना। याचिन ने 2021 में दिए गए इस साक्षात्कार में कहा, “इजराइल की भूमि पर मौजदू यहूदी तभी समझ गए थे कि उन्हें अगर जिंदा रहना तो उन्हें अपनी रक्षा खुद करनी होगी।” इसके बाद उन्होंने दुनिया से मदद की उम्मीद छोड़ दी। उन्होंने भूमिगत संगठन स्थापित किए, उनमें से एक लेही संगठन था, जिससे वे जुड़े थे।”
याचिन ने कहा कि यरूशलेम में रहने वाले यहूदियों को पता चल गया अगर उन्हें जिंदा रहना है तो उन्हें वापस लड़ना होगा। इसके बाद उन्होंने अरब गढ़ों पर हमला करना शुरू कर दिया। याचिन ने कहा कि हमें पता था कि अगर हम हार गए तो हम इतिहास बन जाएंगे।