बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में नई सरकार के आने के बाद अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों और मंदिरों पर हो रही हिंसा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर चिंता पैदा की है। घटनाओं की श्रृंखला और प्रताड़ना की प्रकृति से यह स्पष्ट होता है कि वहां अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
मुख्य बिंदु:
- हमलों की घटनाएँ:
- चटगाँव में शांतानेश्वरी मातृ मंदिर, शनि मंदिर, और शांतनेश्वरी कालीबाड़ी मंदिर पर भीड़ ने हमला किया।
- मंदिरों में तोड़फोड़ कर मूर्तियों को खंडित किया गया, और दुकानों व मकानों को आग के हवाले कर दिया गया।
- हिंसा मुख्यतः जुमे की नमाज के बाद उग्र इस्लामी जुलूसों द्वारा की गई।
- सरकार और सुरक्षा बलों की निष्क्रियता:
- स्थानीय हिंदू समुदाय ने हमलों के दौरान पुलिस और सेना से मदद मांगी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
- आरोप है कि इस्लामी उग्रवादियों को वर्तमान सरकार और सुरक्षा बलों का मौन समर्थन प्राप्त है।
- हिंदू संतों और ISKCON के खिलाफ कार्रवाई:
- ISKCON के संत चिन्मय कृष्णदास और उनके सहयोगियों की गिरफ्तारी की गई है। उन्हें देशद्रोह जैसे गंभीर आरोपों में फंसाया गया है।
- इस्लामी दलों द्वारा ISKCON को “कट्टरपंथी संगठन” कहकर प्रतिबंधित करने का दबाव बनाया जा रहा है।
- ISKCON से जुड़े 17 लोगों के बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया है, जिससे उनके धार्मिक और सामाजिक कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है।
- अल्पसंख्यकों पर प्रभाव:
- तख्तापलट के बाद से 200 से अधिक हिंदू मंदिरों पर हमले हुए और देवी-देवताओं की मूर्तियों को अपवित्र किया गया है।
- डर और असुरक्षा के कारण हिंदू समुदाय के लोग अपने इलाकों को छोड़कर पलायन कर रहे हैं।
- अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय:
- बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर इस प्रकार की हिंसा ने दक्षिण एशिया में धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों को लेकर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से भारत, को इस मामले में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता महसूस हो रही है।
भारत और विश्व के लिए संदेश:
- भारत, जो बांग्लादेश के साथ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध साझा करता है, को इस विषय पर गंभीरता से कदम उठाने होंगे।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार संगठनों और संयुक्त राष्ट्र को बांग्लादेश में हो रहे इन हमलों के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया देनी चाहिए।
- यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि अल्पसंख्यक समुदायों को सुरक्षा और न्याय मिले और हिंसा को प्रायोजित करने वाले तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
इस स्थिति पर ध्यान न दिया गया तो यह न केवल क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा है बल्कि मानवता और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए भी बड़ी चुनौती बन सकती है।