विश्व की दो शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं चीन और अमेरिका के बीच काफी समय से तनातनी का माहौल देखने को मिल रहा है। इन दिनों वैसे भी अदृश्य चीनी जासूसी वायरस की वजह से अमेरिका में कोहराम मचा हुआ है। कहा जा रहा है कि चीन ने युद्ध के समय अमेरिकी सैन्य अभियान को बाधित करने के उद्देश्य से एक चीनी स्पाईवेयर मैलवेयर सिस्टम में छोड़ा है। जिसकी तलाश में अमेरिकी अधिकारी लगे हुए हैं।
इसी बीच बड़ी जानकारी सामने आ रही है कि अमेरिका भारत-प्रशांत क्षेत्र में बढ़त हासिल करने के उद्देश्य के चलते मिसाइलों की क्षमता को और अधिक बढ़ाने वाले मिश्रण का अध्ययन कर रहा है।
क्या है पूरा मामला?
अमेरिकी अधिकारी मिसाइलों और रॉकेटों को ईंधन के रूप में इस्तेमाल होने वाले रसायनों को अपग्रेड करना चाहते हैं ताकि अमेरिकी सेना की पहुंच बीजिंग से भी आगे तक हो। इसके लिए पेंटागन और कांग्रेस एक ऐसे विकल्प पर विचार कर रहा है, जो हथियारों की सीमा को 20 फीसदी तक बढ़ा सके।
कांग्रेस के दो सहयोगियों और दो अमेरिकी अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर समाचार एजेंसी रायटर को यह जानकारी दी।
पिछले हफ्ते सीनेट ने केमिकल कंपाउंड से जुड़े कम से कम 13 मिलियन डॉलर के एक बिल को सामने लाया। इस कंपाउंड का इस्तेमाल मिसाइलों को चलाने के लिए किया जा सकता है या वॉरहेड में इस्तेमाल होने वाले उन्नत विस्फोटकों के रूप में हो सकता है।
क्या कुछ अमेरिकी राजनीतिज्ञ?
अमेरिकी राजनीतिज्ञ माइक गैलाघेर ने बताया,- “भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ते वर्चस्व को देखते हुए अमेरिका को लंबी दूरी के लक्ष्यों को नेस्तनाबूत करने वाली जहाजरोधी मिसाइलों की आवश्यकता है। चीन प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका को एक खतरे के रूप में देखता है। ऐसे में वह अपनी सैन्य उपस्थिति को बढ़ा रहा है।”