पाकिस्तान में ईशनिंदा के नाम पर चर्चों और अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय के घरों में तोड़फोड़ और आगजनी पर अमेरिका ने आक्रोश जाहिर किया है। अमेरिका ने कहा कि हिंसक अभिव्यक्ति को कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा। पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के फैसलाबाद शहर में जरानवाला इलाके में बुधवार को भीड़ ने कुरान की बेअदबी का आरोप लगाकर पांच चर्च तोड़ डाले। इतना ही नहीं, चर्च के आस-पास रहने वाले लोगों के घरों को भी जला दिए। उनके साथ मारपीट और लूटपाट भी की। इस दौरान मौके पर मौजूद पुलिस तमाशबीन बनी रही। इस पर अमेरिका ने तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि पाकिस्तान में कुरान के अपमान के जवाब में चर्चों और घरों को निशाना बनाये जाने से अमेरिका चिंतित है। अमेरिका स्वतंत्र अभिव्यक्ति का समर्थन करता है, लेकिन हिंसा या हिंसा की धमकी को कभी भी अभिव्यक्ति के रूप में स्वीकार्य नहीं कर सकते। पटेल ने पाकिस्तान के अधिकारियों से इन घटनाओं की जांच करने और लोगों से शांति बनाए रखने का आग्रह किया।
इस घटना को लेकर पाकिस्तान के अल्पसंख्यक गुस्से में हैं। चर्च ऑफ पाकिस्तान के प्रमुख बिशप आजाद मार्शल ने कहा कि इस घटना के बाद कुछ कहने की हिम्मत नहीं बचती है। इस खौफनाक घटना को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। चर्च जलाए जा रहे हैं। बाइबिल के टुकड़े किए गए और कुरान के अपमान का झूठा आरोप लगाकर ईसाइयों को प्रताड़ित किया जा रहा है। ह्यूमन राइट्स फोकस पाकिस्तान के प्रमुख नवीद वाल्टर ने सरकार, न्यायालय और पुलिस से न्याय और कार्रवाई की मांग की और कहा कि अल्पसंख्यको को तुरंत सुरक्षा दी जाए।
उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों को आश्वस्त किया जाए कि एक दिन पहले उन्होंने जिस देश का स्वतंत्रता दिवस का जश्न पूरे जोश से मनाया, वह उनको अपना मानता है। वाल्टर ने कहा, 1947 में आजादी के बाद से पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 फीसदी से घटकर 3 फीसदी हो गई है। यह सोचने का विषय है, आखिर ऐसा क्यों हुआ।