बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना सरकार का पतन हुआ और प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देकर भारत में शरण लेनी पड़ी। इस घटनाक्रम से बाद से बांग्लादेश में हिंदुओं के दमन और अत्याचार की घटनाएँ सामने आ रही हैं, लेकिन मोहम्मद यूनुस की अगुवाई में बांग्लादेश को चला रही कट्टरपंथियों की कार्यवाहक सरकार आँखें मूंदे बैठी है और हिंदुओं के उत्पीड़न के मामलों को दबाने में लगी हुई है।
बांग्लादेश में हिंदुओं से घृणा की ताजी घटनाओं में, 28 सितंबर और 1 अक्टूबर को बांग्लादेश के राजशाही डिवीजन के पबना जिले के सुजानगर उपजिला में स्थित ऋषिपारा बरवारी पूजा मंडप और मानिकदी पालपारा बरवारी पूजा मंडप में दुर्गा और अन्य हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। ऋषिपारा मंडप में 4 मूर्तियाँ और मानिकदी मंडप में 5 मूर्तियाँ तोड़ी गईं।
इन हमलों की वजह से स्थानीय हिंदुओं में भय का माहौल है। उन्होंने बांग्लादेशी सुरक्षा एजेंसियों और स्थानीय प्रशासन से तुरंत हस्तक्षेप की माँग की है। हैरानी की बात है कि घटनाओं के घटने के समय लाख बुलावे के बावजूद कोई सुरक्षाबल नहीं पहुँचा, बल्कि बाद में पुलिस ही नहीं रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) और सेना के अधिकारियों ने भी घटनास्थलों का दौरा किया और इतिश्री कर ली।
बता दें कि इस साल दुर्गापूजा का त्योहार 9 अक्टूबर से शुरू होने वाला है, जिसमें अकेले सुजानगर उपजिला में ही 51 मंदिरों में मनाया जाना है, लेकिन हिंदुओं पर हमलों की घटनाओं से उनमें डर का माहौल है।
मानिकदी पालपारा पूजा मंडप के अध्यक्ष बिजन पाल ने बताया कि 1 अक्टूबर की रात जब वह मंदिर से गए थे, तब मूर्तियाँ सही सलामत थीं, लेकिन अगले दिन जब लौटे तो उन्होंने पाया कि मूर्तियों के सिर काट दिए गए थे।
पबना में मूर्तियों की तोड़फोड़ के मामलों को दबाने की कोशिश
बिजन पाल ने यह भी बताया कि क्षतिग्रस्त मूर्तियों की मरम्मत की कोशिश की जा रही है। सुजानगर उपजिला के कार्यकारी अधिकारी (UNO) मोहम्मद रशेदुज्जमान ने इस घटना को ‘अलग-थलग घटना’ बताने की कोशिश की। उन्होंने कहा, “यह एक अलग घटना है। हम दोषियों की तलाश कर रहे हैं ताकि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके। साथ ही हर मंदिर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय लोगों की एक समिति भी बनाई गई है।”
सुजानगर उपजिला पूजा उत्सव परिषद के अध्यक्ष सुभोध कुमार नोटो ने हिंदू मंदिरों पर हुए इन लगातार दो हमलों पर चिंता जताई है।
किशोरगंज में भी तोड़ी गईं मूर्तियाँ
इस बीत, गुरुवार (3 अक्टूबर 2024) को ढाका डिवीजन के किशोरगंज में गोपीनाथ जीउर अखाड़ा दुर्गा पूजा मंडप में 7 हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ तोड़ डाली गईं। यह घटना तब हुई जब मंदिर की सुरक्षा में तैनात गार्ड सो रहे थे।
इस्लामी कट्टरपंथियों ने दीवार फाँदकर मूर्तियों के सिर तोड़ दिए। इस घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने स्थल का दौरा किया और नुकसान का जायजा लिया। इस तोड़फोड़ के विरोध में हिंदू समुदाय के लोगों ने उसी दिन एक विरोध मार्च निकाला, जो कई सड़कों से होते हुए जिला आयुक्त कार्यालय के सामने आकर खत्म हुआ।
जिला आयुक्त फौजिया खान और पुलिस अधीक्षक मोहम्मद हसन चौधरी ने हिंदुओं को आश्वासन दिया कि दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। गोपीनाथ जीउर अखाड़ा दुर्गा पूजा उत्सव समिति के अध्यक्ष लिटन सरकार ने इस घटना पर गहरी नाराजगी जताई और कहा, “यहाँ पहले भी दुर्गा पूजा का आयोजन होता रहा है, लेकिन पहले कभी इस तरह की तोड़फोड़ नहीं हुई। जो लोग इस घटना के पीछे हैं, उनका मकसद सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ना है। उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए।”
जिला पूजा उत्सव समिति के अध्यक्ष नारायण दत्ता प्रदीप ने भी कहा, “इस तोड़फोड़ से हिंदू समुदाय बहुत दुखी है। अब हर कोई डर के माहौल में है। अगर इस तरह की घटनाएँ जारी रहती हैं, तो हम अपने धार्मिक त्योहार कैसे मना पाएँगे?”
पुलिस अधीक्षक ने जनता को भरोसा दिलाते हुए कहा है कि सुरक्षा एजेंसियाँ अपराधियों को पकड़ने के लिए पूरी सक्रियता से काम कर रही हैं। उन्होंने कहा, “हम इस मामले में सख्त कदम उठा रहे हैं। दोषियों को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा और हम उम्मीद करते हैं कि दुर्गा पूजा सुरक्षित और धूमधाम से मनाई जा सकेगी।”
जिला आयुक्त फौजिया खान की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट कार्यालय में एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई गई, जिसमें पुलिस, सेना और RAB के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इस बैठक में हिंदू नेताओं ने दोषियों की गिरफ्तारी की माँग दोहराई।
बता दें कि साल 2024 में किशोरगंज के 13 उपजिलों में कुल 363 दुर्गा पूजा मंडप बनाए जाने की योजना है। हाल की घटनाओं को देखते हुए जिला प्रशासन ने सभी पूजा मंडपों की सुरक्षा को और बढ़ा दिया है ताकि उत्सव शांतिपूर्ण और सुरक्षित रूप से मनाया जा सके।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों के मामले बढ़े
बांग्लादेश में हिंदुओं से घृणा के मामले हमले से सामने आते रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ समय में हिंदू मंदिरों, दुकानों और व्यवसायों पर कम से कम 205 हमले हो चुके हैं, विशेषकर शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद।
चटगाँव में एक हिंदू युवक को ईशनिंदा के आरोप में उसकी मॉब लिंचिंग के लिए इस्लामी कट्टरपंथियों की भीड़ ने पूरे थाने को ही घेरा लिया और आर्मी की गाड़ियों तक में आग लगा दी थी।
पहले बताया था कि कैसे खुलना के सोनाडांगा इलाके में एक मुस्लिम भीड़ ने हिंदू लड़के उत्सव मंडल को ‘ईशनिंदा’ के आरोप में लगभग मार डाला था।
यह भी खुलासा हुआ था कि मुस्लिम छात्रों ने 60 से अधिक हिंदू शिक्षकों, प्रोफेसरों और सरकारी अधिकारियों को अपने पदों से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया है।
हाल ही में, मानवाधिकार कार्यकर्ता और निर्वासित बांग्लादेशी ब्लॉगर असद नूर ने बताया कि अल्पसंख्यक समुदाय को ‘जमात-ए-इस्लामी’ में शामिल होने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
6 सितंबर को चटगांव के कादम मुबारक इलाके में गणेश उत्सव के दौरान हिंदू भक्तों की एक शोभायात्रा पर भी हमला हुआ था।