भारत द्वारा राजधानी नई दिल्ली में G20 शिखर वार्ता के सफल आयोजन और उसके सबकी सहमति से पारित हुआ ‘नई दिल्ली घोषणापत्र’ विदेशी मीडिया विशेषज्ञों में चर्चा का विषय बना हुआ है। पश्चिमी मीडिया खासकर अमेरिकी अखबार और चैनल इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी टीम की विशेष सफलता मान रहे हैं। उनका कहना है कि यह मुश्किल काम भारत ने अपनी कूटनीति से जिस प्रकार संभव किया है, उसकी प्रशंसा की जानी चाहिए।
कल यानी 10 सितम्बर को समाप्त हुए जी20 शिखर सम्मेलन में जारी घोषणा पत्र पर सभी सदस्य देशों की सहमति बनना एक असाधारण बात मानी जा रही है। 9 सितम्बर को स्वयं मोदी ने इस घोषणा पत्र को अपनाने की घोषणा करते हुए इस बात का विशेष उल्लेख किया था कि इस काम में लगी टीम की वजह से यह संभव हो पाया है। उन्होंने कहा कि हमारी टीम की कड़ी मेहनत और सभी सदस्य देशों के सहयोग से नई दिल्ली जी20 लीडर्स घोषणा पत्र पर आम सहमति बनी है। इसमें बलपूर्वक कहा गया है कि परमाणु अस्त्रों का उपयोग या उपयोग की धमकी भी स्वीकार नहीं की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि भारत की इस कूटनीति की चर्चा दुनिया भर की मीडिया में विशेष रूप से छाई हुई है। इसके पीछे वजह यह है कि यूक्रेन युद्ध के कारण संयुक्त घोषणा पत्र पर आम सहमति बना पाना एक मुश्किल काम था, लेकिन भारत ने कूटनीतिक दक्षता दिखाते हुए इस कठिन काम को भी सफल कर दिखाया।
खासकर पश्चिमी मीडिया में आए आलेखों में भारतीय कूटनीति की काफी तारीफ देखने में आ रही है। अमेरिका का अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है कि नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन में दुनियाभर के नेताओं ने एक दिन पहले ही यूक्रेन में युद्ध को लेकर एक संयुक्त बयान जारी किया, यह जी20 शिखर सम्मेलन के पर्यवेक्षकों को खास हैरान कर गया। इसी तरह ‘द गार्जियन’ लिखता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 सितम्बर को घोषणा की कि जी20 के नेता संयुक्त घोषणा पत्र पर सहमत हो गए हैं, इससे यह आशंका हल्की पड़ गई कि रूस-यूक्रेन युद्ध पर असहमति शायद आम सहमति न होने दे। यह घोषणापत्र जी 20 के अध्यक्ष के नाते भारत के लिए एक बड़ी जीत की तरह है।
अमेरिकी अखबारों में छपा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के सामने भारत की क्षमताओं को बहुत अच्छी तरह पेश किया है। मोदी ने जी 20 के देशों के सामने भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और युवा श्रमशक्ति वाले देश के रूप में प्रस्तुत किया है। भारत की कूटनीति के बारे में लिखा है कि नई दिल्ली संयुक्त घोषणा पत्र में रूस अथवा चीन का कोई विरोध नहीं है। न ही यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस की आलोचना की गई है। भारत ने संयुक्त घोषणापत्र में सभी मत—विचारों को एक साथ लाने की कोशिश की है।