नेपाल और तिब्बत की सीमा के पास आए इस भूकंप ने हिमालयी क्षेत्र में गंभीर असर डाला है। रिक्टर स्केल पर 7.1 तीव्रता के भूकंप ने न केवल तिब्बत में बल्कि भारत के उत्तर और पूर्वी हिस्सों में भी झटके महसूस कराए। इस प्राकृतिक आपदा के मुख्य पहलू इस प्रकार हैं:
तिब्बत में तबाही:
- मृतकों की संख्या: चीन की शिन्हुआ एजेंसी के अनुसार, तिब्बत में अब तक 53 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। इस संख्या में और वृद्धि की संभावना जताई जा रही है।
- विनाश का स्तर: कई गांवों के घर पूरी तरह ढह गए हैं। पर्वतीय इलाकों में स्थित घरों और संरचनाओं पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ा है।
- भूकंप का केंद्र: भूकंप का केंद्र हिमालयी सीमा के पास तिब्बती पठार में था, जिसकी गहराई 10 किलोमीटर बताई गई है।
नेपाल की स्थिति:
- नेपाल में सुबह 6:50 बजे झटके महसूस किए गए। राजधानी काठमांडू में लोग डर के कारण अपने घरों से बाहर निकल आए।
- फिलहाल, नेपाल में किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन लोगों में भय और अस्थिरता देखी गई।
भारत पर प्रभाव:
- भूकंप के झटके भारत के बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली-एनसीआर समेत कई हिस्सों में महसूस किए गए।
- लोग अपने घरों से बाहर आ गए, लेकिन अब तक किसी बड़ी क्षति की सूचना नहीं है।
भूकंप की वैज्ञानिक जानकारी:
- अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण (USGS) ने इस भूकंप की तीव्रता 7.1 दर्ज की, जबकि चीन की एजेंसी ने इसे 6.8 मापा।
- भूकंप का केंद्र 10 किलोमीटर की गहराई में और औसतन 4,200 मीटर ऊंचाई पर था। यह क्षेत्र हिमालय का दुर्गम और संवेदनशील इलाका है।
स्थिति पर प्रतिक्रिया और बचाव:
- चीन में राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए गए हैं। स्थानीय प्रशासन प्रभावित गांवों तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है।
- नेपाल और भारत में भी स्थिति पर नजर रखी जा रही है। आपदा प्रबंधन एजेंसियां सतर्क हैं और भूकंप के बाद के झटकों की संभावना को देखते हुए अलर्ट जारी किया गया है।
यह घटना हिमालयी क्षेत्र की भूकंपीय संवेदनशीलता और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारी की गंभीरता को दर्शाती है। प्रभावित क्षेत्रों में राहत और पुनर्वास की तत्काल आवश्यकता है।