विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था में बढ़ती अनिश्चितता, खासकर आर्थिक गतिविधियों को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने और मैन्युफैक्चरिंग के सेंट्रलाइजेशन पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि भारत समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि लचीली और भरोसेमंद साझेदारी बनाई जा सके जो देश के आर्थिक हितों के साथ-साथ इसकी रणनीतिक प्राथमिकताओं के लिए आवश्यक है.
विदेश मंत्री ने इंडिया-इटली बिजनेस, साइंस एंड टेक्नोलॉजी फोरम में यह टिप्पणी की. इसमें इतालवी उपप्रधानमंत्री एंटोनियो तजानी ने भी हिस्सा लिया. उन्होंने कहा कि आज हम एक जानी पहचानी वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था में मिल रहे हैं, लेकिन यह व्यवस्था बदल रही है, अधिक जटिल और अप्रत्याशित होती जा रही है.
आर्थिक गतिविधियों को बनाया हथियार
जयशंकर ने कहा कि भले ही हम महामारी, यूरोप, पश्चिम एशिया और एशिया में कई संघर्षों से उबर रहे हों, हमें यह पहचानना होगा कि हमारी सप्लाई चेन अधिक नाजुक हो गई हैं और हमारा समुद्री नौवहन बाधित हो गया है. उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है क्योंकि बाजार हिस्सेदारी का लाभ उठाया जा रहा है और आर्थिक गतिविधियों को हथियार बनाया जा रहा है.
मैन्युफैक्चरिंग का सेंट्रलाइजेशन
वास्तव में, मैन्युफैक्चरिंग का अत्यधिक सेंट्रलाइजेशन और आपूर्ति श्रृंखलाओं की विश्वसनीयता आज प्रमुख चिंता बन गई है. विदेश मंत्री ने कहा कि उद्योग और सरकारें तेजी से हो रहे डिजिटलीकरण और तकनीकी बदलावों के प्रभाव से तालमेल बिठाने के लिए संघर्ष कर रही हैं, जो व्यापार बाधाओं और निर्यात नियंत्रण के कारण और भी बढ़ गए हैं.
राजनीतिक और आर्थिक साझेदारी
उन्होंने कहा कि दुनिया भर के देश मजबूत राजनीतिक और आर्थिक साझेदारी बनाकर, अपने मैन्युफैक्चरिंग और व्यापार भागीदारों में विविधता लाकर इनोवेशन और रिसर्च में निवेश करके जोखिम कम कर रहे हैं. विदेश मंत्री ने कहा कि हम दोनों ही अपने अपने देश (भारत और इटली) में इन प्रवृत्तियों को देख रहे हैं.
जयशंकर ने कहा कि भारत हाल के वर्षों में ऐसी लचीली और भरोसेमंद साझेदारी बनाने के लिए समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि हमारे लिए इस सूची में इटली का स्थान सबसे ऊपर है. कई क्षेत्रों में एक स्वाभाविक पूरकता है जिसका हमें दोहन करने की आवश्यकता है.
आर्थिक गलियारे का भी जिक्र
विदेश मंत्री ने कहा कि चाहे वह ऊर्जा हो या परिवहन, फूड प्रोसेसिंग हो या इंजीनियरिंग, आपके पास ऐसी तकनीकें हैं जो इस तरह के सहयोग को सार्थक बनाती हैं. उन्होंने प्रस्तावित भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईईसी) का भी उल्लेख किया. विदेश मंत्री ने कहा कि यह ऐतिहासिक पहल अर्थव्यवस्थाओं, ऊर्जा संसाधनों और संचार के लिए वास्तव में एक नयी वैश्विक धुरी बनाएगी.
आईएमईईसी पहल को 2023 में दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान अंतिम रूप दिया गया था. पहल के रूप में प्रस्तुत आईएमईईसी में सऊदी अरब, भारत, अमेरिका और यूरोप के बीच एक विशाल सड़क, रेलमार्ग और नौवहन नेटवर्क की परिकल्पना की गई है, जिसका उद्देश्य एशिया, पश्चिम एशिया और पश्चिमी देशों को जोड़ना है.