जर्मनी के म्युनिख में 13 फरवरी को एक कार चालक ने भीड़ में गाड़ी घुसाकर कई लोगों को रौंद दिया। खबर आ रही है कि घटना में 28 लोग घायल हो गए हैं जिनमें बच्चे भी शामिल हैं। इनमें दो की हालत बेहद गंभीर है। पुलिस की पड़ताल में सामने आया है कि आरोपित अफगानिस्तानी है। उसकी उम्र मात्र 24 साल है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिस समय ये घटना घटी उस समय म्युनिख में सर्विस वर्कर्स यूनियन के लोग प्रदर्शन कर रहे थे। कई लोग उस प्रदर्शन में शामिल होने आए हुए थे, तभी गाड़ी आई और रौंदते हुए आगे चली गई।
Just ahead of JD Vance arriving in Munich to negotiate with Zelenski, an Afghan migrant suspect rammed a car through a crowd of people, injuring dozens, including children. This is the fifth mass attack in less than a year in Germany involving a migrant. Leftists there reject the… pic.twitter.com/1TM5efNJkE
— Andy Ngo (@MrAndyNgo) February 13, 2025
इस हमले को म्युनिख के गवर्नर मार्कस सॉडर ने संदिग्ध हमला करार दिया है। उनका कहना है कि वो इस घटना से सदमे में है। ये हमला उस समय हुआ है जब बावेरिया प्रांत की राजधानी म्युनिख में शुक्रवार से सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस शुरू होने जा रही है।
जानकारी के मुताबिक इस कॉन्फ्रेंस में कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय नेता भाग लेने वाले थे, जैसे अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की आदि। घटना स्थल से सम्मेलन स्थल की दूरी लगभग 1.5 किलोमीटर थी।
पुलिस अब मामले की जाँच कर रही है। पता लगाने की कोशिश हो रही है कि क्या यह जानबूझकर किया गया हमला था या कोई दुर्घटना। अधिकारियों ने घटनास्थल पर सुरक्षा बढ़ा दी है और नागरिकों से उस क्षेत्र में जाने से बचने का आग्रह किया है।
This is the Afghan migrant who drove his car into a crowd of innocent people in Munich, Germany. 28 injured including a child in critical condition. His name is Farhad and he posted Islamist content. This terror only ends if AfD wins and runs Germany! Mass migration is suicide. pic.twitter.com/vcUlrNtmnm
— Robby Starbuck (@robbystarbuck) February 13, 2025
इसके अलावा ये भी खबर है कि आरोपित को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। कुछ सोशल मीडिया अकॉउंट्स पर उसकी पहचान फरहाद के तौर पर बताई गई है। ये भी कहा जा रहा है कि फरहाद इस्लमी कंटेंट अपने सोशल मीडिया पर बहुत शेयर कर रहा था। 2016 में उसके शर्णार्थी होने की याचिका को खारिज कर दिया गया था लेकिन उस समय उसे वापस अफगानिस्तान नहीं भेजा गया। अब जर्मन के लोग इस घटना को आतंकवाद से जोड़कर भी दे रहे हैं।